रानीगंज: शहर के हृदयस्थल में स्थित लगभग 32 बीघा क्षेत्र में विस्तृत बरदही जलाशय भूमाफियाओं के नापाक इरादों का शिकार होता जा रहा है. इस प्राचीन जलाशय के समीप बने लम्बे अरसे से कर्मकांड स्थल, जो हिंदू समुदाय में मृत्यु के पश्चात किए जाने वाले अंतिम संस्कारों के लिए महत्वपूर्ण है, पर भी अतिक्रमण की काली छाया मंडरा रही थी, हालांकि, जागरूक स्थानीय नागरिकों के एकजुट विरोध के कारण फिलहाल माफियाओं की साजिशें नाकाम हो गई हैं, लेकिन लोगों में गहरा आक्रोश व्याप्त है.
आसनसोल नगर निगम के पार्षद दिवेंदु भगत ने इस गंभीर मुद्दे पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जलाशय के चारों ओर एक सोची-समझी रणनीति के तहत अतिक्रमण किया जा रहा है.उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा, "हम इस जलाशय को बचाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन अत्यंत पीड़ा तब हुई जब बरसों पुराना कर्मकांड स्थल भी बंद कर दिया गया. इस घटनाक्रम ने स्थानीय निवासियों को गहरे दुख और गुस्से में डाल दिया है.32 बीघा तालाब का 10 बीघा अतिक्रमण कर लिया गया.
बरदही जलाशय न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है. इसके पास ही मां बरदही काली का एक भव्य मंदिर स्थापित है, जहां प्रत्येक शनिवार और मंगलवार को भक्तों की भारी भीड़ विशेष पूजा-अर्चना के लिए उमड़ती है. इसके अतिरिक्त, छठ पूजा के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं का सैलाब आता है, जो इस स्थान की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को और भी अधिक बढ़ा देता है.
स्थानीय निवासी उत्तम भगत ने अपने आक्रोश को व्यक्त करते हुए कहा अब किसी भी कीमत पर अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं करेंगे.स्थानीय निवासियों का आरोप है कि एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत जलाशय के पास बच्चों के लिए एक उद्यान और एक ड्रेनेज योजना बनाई गई थी, जिसका उन्होंने पिछले सप्ताह पुरजोर विरोध किया और इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की.
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए रानीगंज तृणमूल कांग्रेस के टाउन अध्यक्ष रूपेश यादव, रानीगंज बोरो अध्यक्ष मुजम्मिल शहजादा और अभियंता कौशिक सेनगुप्ता ने भी घटनास्थल का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया.स्थानीय नागरिकों और रानीगंज सिटीजन्स फोरम ने एकजुट होकर इस अतिक्रमण के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है और नियमित रूप से आंदोलन चलाने का संकल्प लिया है.
आरोप यह भी है कि पूर्ववर्ती माकपा सरकार के शासनकाल में जलाशय के एक हिस्से को सुनियोजित ढंग से खरीदा गया और बाद में मिलीभगत से उसका म्यूटेशन कराकर उसे वास्तु संपत्ति में परिवर्तित कर दिया गया, जो कि एक गंभीर कानूनी अपराध है. वर्तमान में स्थानीय लोगों की मुख्य मांग यही है कि कर्मकांड भवन को तत्काल प्रभाव से पुनः चालू किया जाए और बरदही जलाशय को हर प्रकार के अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए. इस मांग को लेकर क्षेत्र में जन आक्रोश बढ़ता जा रहा है.
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