रानीगंज: रंगों और उमंगों का त्योहार होली रानीगंज में धूमधाम से मनाया गया. शहर के विभिन्न हिस्सों में लोगों ने एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर और मिठाइयाँ खिलाकर होली मनाई.
राधा कृष्ण मंदिर से निकली दोल यात्रा:
हर साल की तरह इस साल भी रानीगंज के राधा कृष्ण मंदिर से दोल यात्रा निकाली गई. पिछले चार वर्षों से यह शोभायात्रा होली के अवसर पर निकाली जा रही है. इस वर्ष की शोभायात्रा में रानीगंज टीएमसी टाउन अध्यक्ष रूपेश यादव और शहर के कई प्रमुख नागरिकों ने भाग लिया. उच्च माध्यमिक परीक्षाओं के कारण, शोभायात्रा का मार्ग छोटा रखा गया था. शोभायात्रा राधा कृष्ण मंदिर से शुरू हुई और सीआर रोड, बड़ा बाजार और मारवाड़ी पट्टी होते हुए वापस राधा कृष्ण मंदिर में समाप्त हुई.
इस अवसर पर रूपेश यादव ने कहा कि होली बंगाल का एक पारंपरिक त्योहार है. यह लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें अपने मतभेदों को भुलाकर प्यार और भाईचारे का रंग चढ़ाने का अवसर देता है. उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन समाज में सौहार्द बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी हैं.
मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया कि पिछले चार वर्षों से होली के अवसर पर यह शोभायात्रा निकाली जा रही है. उन्होंने यह भी बताया कि मंदिर की वर्तमान स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए वे रानीगंज के लोगों से मंदिर के पुनर्निर्माण में सहयोग करने की अपील करेंगे.उन्हें विश्वास है कि रानीगंज के लोगों के सहयोग से अगले होली से पहले मंदिर नए रूप में सामने आएगा
श्याम चैरिटेबल ट्रस्ट की नगर परिक्रमा:
दूसरी ओर, श्याम चैरिटेबल ट्रस्ट ने खाटू श्री श्याम मंदिर से भजन-कीर्तन और ढप की थाप पर नगर परिक्रमा का आयोजन किया, जिसमें श्याम भक्तों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया.
मॉर्निंग वॉकर योगा ग्रुप का होली मिलन:
मॉर्निंग वॉकर योगा ग्रुप के सदस्यों ने रानीगंज के रोबिन सेन स्टेडियम में जमकर होली खेली.शहर के वरिष्ठ नागरिक नथमल जी केडिया और राजेंद्र प्रसाद खैतान ने सदस्यों के साथ होली खेलकर उन्हें आशीर्वाद दिया.ढप की थाप और जोगीरा सा रा रा के धुनों पर लोगों ने एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर खूब मस्ती की
इस अवसर पर नथमल जी केडिया ने कहा कि होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. यह वसंत के आगमन का भी उत्सव है. यह लोगों को एक-दूसरे के करीब आने और अपने मतभेदों को भुलाने का अवसर देता है. रानीगंज में होली का त्योहार पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया.इससे अच्छी और आपसी सौहार्द वाला पर्व दूसरा हो ही नहीं सकता है.
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