रांनीगंज- रानीगंज में वर्षो से चला आ रहा पारंपरिक पीर बाबा का उर्स( मेला )शनिवार से शुरू हो गया.पीर बाबा की दरगाह, रानीगंज के वार्ड नम्बर 35 के रोनाई क्षेत्र में स्थित है, हुजूर गौसे बांग्ला के नाम से प्रसिद्ध बाबा शम्सुद्दीन साह की कब्रगाह है.ईस मकबरे में उनके इंतकाल के दिन से दस दिनों के लिए उर्स समारोह आयोजित किए जाते हैं,और इसी बात को ध्यान में रखते हुए पीर बाबा का मेला 124 साल से लगता आ रहा है। न केवल रानीगंज में, बल्कि विभिन्न जिलों, विभिन्न राज्यों और यहां तक कि विभिन्न देशों के लोग इस मेले में आकर चादरपोशी करते है. पिछले दो साल से पीर बाबा का यह मेला छोटे पैमाने पर होता आ रहा है, लेकिन इस बार कोरोना संकट के तुरंत बाद मेले की रौनक कुछ और ही है. इस साल का पीर बाबा मेला शुक्रवार की रात रूमाल पोशी से शुरू हुआ, इसके बाद शनिवार सुबह संदल पोशी के तहत पटना से पहली चादर चढ़ाई गई, उसके बाद शनिवार दोपहर को चादर चढ़ाई गई .इस दिन उनकी जन्मभूमि कलकत्ता से दादा पीर की जन्मभूमि से चादर चढ़ाने के बाद पीरबाबा को चादर चढ़ाने का रस्म शुरू हुआ,और यह दस दिनों तक चलेगी। दस दिनों तक चादर चढ़ाने की इस रस्म के साथ इलाके में मेला लगता है. चकरी से लेकर विभिन्न शॉपिंग स्टॉल , विशेष रूप से भोजन प्रेमियों और मिठाई प्रेमियों के लिए खाजा जलेबी के कई स्टॉल हैं. अपनी मन्नतों को पूरा करने के उद्देश्य से बाबा के मेले में काफी पीर पहुंचते है.आपसी सौहार्द का अद्भुत मिलन इस मेला में देखने को मिलता है. लोग तरह-तरह की खरीदारी का सामान भी खरीदते हैं. आयोजकों ने बताया कि 10 दिन के मेले के दौरान माध्यमिक परीक्षाओं के कारण वे साउंड स्पीकर का नाममात्र का ही प्रयोग कर रहे हैं. इस मेले के चलते पिछले वर्षों से रेलवे विभाग द्वारा लोकल ट्रेन की ठहराव की समय सीमा बढ़ा कर तीन मिनट की गई है .
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