- शव को बिना पोस्टमार्टम किये आनन-फानन में भेजा उत्तर प्रदेश पुलिस ने पश्चिम बंगाल
- मृतक को डेथ सर्टिफिकेट तक नहीं दिया गया
- मृतक को नहीं दी गयी कोई क्षतिपुरण
जामुड़िया-उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के शाही स्नान के दौरान हुई भगदड़ में पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्दवान जिले के जामुड़िया थाना क्षेत्र के केंदा फाड़ी अधीन रुईदास पाड़ा के निवासी 42 वर्षीय बिनोद रूईदास की भी मौत हो गई.
बिनोद रूईदास पेशे से एक टोटो चालक थे और केंदा के मुचीपाड़ा में रहते थे.घटना की खबर फैलते ही इलाके में शोक की लहर है .
शव लेकर लौटे वाहन चालक
प्रयागराज से विनोद के शव को गाड़ी में लाने वाले वाहन चालक मिराज खान ने बताया कि विनोद का शव उन्हें प्रयागराज में मोर्चरी से हैंडओवर किया गया था. वाहन चालकों को प्रशासन की तरफ से शव से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं दिए जाते, मृत व्यक्ति के साथ जो रिश्तेदार होते हैं, उन्हीं को सारे सरकारी और प्रशासनिक दस्तावेज प्रदान किए जाते हैं.उनके साथ मृतक के साला विष्णु रुइदास उसके एक मित्र कुल्टी निवासी प्रेम कुमार तथा उत्तर प्रदेश पुलिस का एक जवान शव को लेकर रुइदास पाड़ा पहुंचे.
प्रत्यक्षदर्शियों का हाल
उनके साथ रहे बिनोद के साले विष्णु रुईदास और उनके दोस्त प्रेम ने पूरी घटना अपनी आंखों के सामने देखी, लेकिन लोगों की भारी भीड़ में असहाय होकर किसी तरह अपनी जान बचाई, लेकिन बिनोद को नहीं बचा सके.
महाकुंभ के मौनी अमावस्या स्नान ने उन्हें इतना भयभीत कर दिया है कि वे याद करके डर के मारे कांप रहे हैं और रो रहे हैं. उन्होंने चारों तरफ बचाओ बचाओ की आवाजें सुनीं, लेकिन कोई बचाने नहीं आ रहा था, उनकी आंखों के सामने ही एक के बाद एक मौतें देखकर उनके रोंगटे खड़े हो गए. हजारों लोग महिलाओं, बच्चों और लेटे हुए लोगों को कुचलते जा रहे थे.
विष्णु रुईदास ने बताया कि 27 तारीख सोमवार को वह तथा उनके जमाई विनोद रुईदास तथा उसके एक मित्र प्रेम कुमार कुल्टी निवासी जिसका प्रयागराज में ही घर है गांव पैतृक गांव है वह तीनों मौनी अमावस्या में स्नान के लिए प्रयागराज में स्नान के लिए ट्रेन से बनारस पहुंचे . सोमवार को बनारस में रहने के बाद दूसरे दिन मंगलवार को प्रयागराज पहुंचे एवं भोर में प्रयागराज में ही स्नान करने के लिए सब इकट्ठे हुए . अचानक रात के लगभग 3:00 बजे भीड़ का एक विशाल झोंका आया और देखते-देखते वह तीनों एक दूसरे से अलग हो गए. उन्हें पता भी नहीं चला कि उनके जमाई बाबू विनोद रुईदास इस भीड़ में दब गए हैं .खोजबीन करने के बाद तथा पुलिस से पूछने के बाद जब थोड़ी भीड़ कम हुई, उनके तलाश करने के पश्चात जब वह न मिले तो यूपी पुलिस से जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उनकी खोज लेने के लिए अस्पताल जाएं. लोगों से पूछ कर जब स्थानीय अस्पताल पहुंचा तो मृतकों के लिस्ट में उनका नाम नहीं था. उनका वोटर कार्ड तथा आधार कार्ड दिखाएं किंतु कोई नहीं बता पाया. पुलिस ने बताया कि आप मोर्चरी में चले जाइए, वहां जाकर देखा तो लाशों के देर में जमाई बाबू का लाश पड़ी हुई थी. पुलिस ने बताया कि लाश को यहां से ले जाएं . लाश को लाने के लिए किसी प्रकार का कोई कागजात नहीं दिया ना कोई डेथ सर्टिफिकेट दिया और ना ही शव का पोस्टमार्टम ही किया गया. बस एक एंबुलेंस तथा उत्तर प्रदेश के पुलिसकर्मी को साथ दे दिया. उन्होंने बताया कि इतनी अधिक दुर्व्यवस्था वहां थी की जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है .
शुक्रवार प्रातः लगभग 10 बजे शव को जामुड़िया थाने के केन्दा चौकी अंतर्गत रुइदास पाड़ा लाया गया. चूंकि शव का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था, इसलिए शव को पोस्टमार्टम के लिए आसनसोल जिला अस्पताल भेजा गया. हालांकि, कई लोगों ने सवाल उठाया है कि योगी सरकार ने बिना पोस्टमार्टम के शव को कैसे भेज दिया. स्थानीय राजनीतिक दलों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक कई लोगों ने दावा किया है कि योगी सरकार ने मौतों के मामले को दबाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से शव को इस तरह भेजा है. पश्चिम बर्दवान जिला तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष नरेंद्र नाथ चक्रवर्ती मृतक विनोद रुइदास के घर पहुंचे एवं उन्होंने कहा की प्रयागराज में बद इंतजामी का यह हाल है कि लोग एक ₹100 में एक कप चाय खरीद कर पी रहे हैं तो ₹500 में एक वक्त का भोजन. स्थानीय विधायक हरेराम सिंह ने बिनोद के घर पहुंच कर हर सम्भव मदद करने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि किसी मामले में कोई दिक्कत नहीं होगी, उत्तर प्रदेश सरकार से संपर्क किया गया है, वे आगे की व्यवस्था के लिए हर सम्भव प्रयास करेंगे. मृतक विनोद रुईदास के घर में उनकी उनके माता-पिता पत्नी दो पुत्री तथा एक पुत्र है. विनोद टोटो चलाकर अपने परिवार का गुजारा करता था. उसके परिवार वालों ने स्थानीय विधायक एवं तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष से विनोद के परिवार के भरण पोषण की व्यवस्था करने की मांग किया.
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