रानीगंज: रंगों के त्योहार होली से पहले, रानीगंज के श्री श्री सीताराम जी मंदिर भवन में भक्तों ने कान्हा और राधा के साथ फूलों की होली खेलकर उत्सव का माहौल बना दिया. यह राजस्थानी समाज की एक पुरानी परंपरा है, जिसमें होली से पहले फूलों से होली खेली जाती है. इस अवसर पर रानीगंज के विभिन्न क्षेत्रों से मारवाड़ी समाज के लोग अपने घर के सदस्य लड्डू गोपाल की प्रतिमाएं लेकर पहुंचे और उनके साथ फूलों की होली का आनंद लिया.
मंदिर परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में रानीगंज के विधायक तापस बनर्जी और कई विशिष्ट लोग शामिल हुए. समाजसेवियों में सुरेश जयसवाल, संदीप भालोटिया, सुशील गनेरीवाला, विजय जाजोदिया, संजय बाजोरिया, राजेश जिंदल, हरि सोमानी और रमेश मारोदिया जैसे गणमान्य व्यक्तियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. सैकड़ों महिला और पुरुष भक्तों ने मंदिर समिति के अध्यक्ष विमल बाजोरिया, सचिव प्रदीप सराय, कोषाध्यक्ष ललित झुनझुनवाला और अन्य सदस्यों के साथ मिलकर राधा-कृष्ण के साथ राजस्थानी वाद्ययंत्र ढप के ताल पर फूलों की होली खेली.
मंदिर का प्रांगण उस समय मथुरा-वृंदावन की गलियों जैसा प्रतीत हो रहा था, जब कोयलांचल के प्रसिद्ध भजन गायक देवेश पारीक ने कान्हा और राधिका के मनमोहक भजन प्रस्तुत किए. ललित झुनझुनवाला ने बताया कि यह परंपरा हर साल की तरह इस साल भी मनाई गई, और इस बार हर घर से लड्डू गोपाल को लाकर उनके साथ विशेष रूप से होली खेली गई. उन्होंने कहा कि लड्डू गोपाल के साथ सार्वजनिक रूप से होली खेलने का अवसर बहुत कम मिलता है, इसलिए यह आयोजन विशेष था.
विधायक तापस बनर्जी ने होली को भारत का पारंपरिक त्योहार बताते हुए कहा कि यह राधा-कृष्ण के सच्चे प्रेम का प्रतीक है.उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की कि राधा-कृष्ण के बीच का प्रेम भाव पूरे समाज में फैले और सभी लोग एक-दूसरे के साथ प्यार और सद्भाव से रहें.
मंदिर समिति के सचिव प्रदीप सरायां ने बताया यह एक अलौकिक क्षण था जब इतने सारे लड्डू गोपाल एक साथ उपस्थित हुए.उन्होंने आगे बताया कि रानीगंज में लगातार हो रहे धार्मिक आयोजनों से यह शहर वृंदावन की तरह 'रानीगंज धाम' बन गया है. लोगों की इच्छा को ध्यान में रखते हुए, 30 मार्च से 6 अप्रैल तक मंदिर में भागवत पाठ का आयोजन किया जाएगा.
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