आसनसोल : ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन का पश्चिम बंगाल इकाई का सम्मेलन एक 2 जनवरी को पश्चिम बर्दवान जिला के खांद्रा में आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन को सफल बनाने के लिए शुक्रवार को बीएनआर चेलिडांगा स्थित एटक कार्यालय में एआईवाईएफ का जिला परिषद का बैठक बुलाया गया। जिसमें एआईवाईएफ का राज्य संपादक तापस सिन्हा, जिला अध्यक्ष एस सिन्हा, जिला संपादक राजू राम, आस्तिक बाउरी, जलालुद्दीन खान के अलावा कई पदाधिकारी उपस्थित थे। इस मौके पर एआईवाईएफ का राज्य संपादक का तापस सिन्हा ने कहा कि प्रति 3 वर्ष पर एआईवाईएफ का सम्मेलन किया जाता है। जिसमें नई कमेटी का गठन होता है।एआईवाईएफ का राष्ट्रीय कमेटी गठन करने के लिए तेलंगाना राज्य के हैदराबाद में 7- 8 जनवरी को सम्मेलन बुलाई जाएगी। जबकि पश्चिम बंगाल ईकाई का सम्मेलन पश्चिम बर्दवान जिला के खांद्रा में 1-2 जनवरी को आयोजित की जाएगी।इस सम्मेलन को सफल बनाने के लिए जिला परिषद की बैठक बुलाई गई है। हालांकि इस तरीके का सम्मेलन हमलोग हमेशा करते हैं। क्योंकि हम लोग 365 दिन आम जनता के साथ रहकर संघर्ष करते हैं। वर्ष 2017 में एआईवाईएफ के द्वारा केरल से पंजाब तक एक लंबा पदयात्रा निकाला गया था। जिसका मुख्य मांग लिया था नरेगा के तर्ज पर भगत सिंह यूथ एंप्लॉयमेंट गारंटी योजना के तहत युवकों को नौकरी देने की योजना बनाई जाए। लेकिन यह योजना नहीं बनाई गई। वर्ष 2014 में जब केंद्र में भाजपा की सरकार आई तो चुनाव के पहले भाजपा ने यह वादा किया था कि प्रतिवर्ष दो करोड़ युवाओं को नौकरी दी जाएगी। लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार इसमें बुरी तरह से विफल साबित हुई है। रोजगार के सभी रास्ते बंद हैं। केंद्र सरकार जनविरोधी नीतियों को लागू कर रही है। नए श्रम कोड लागू किया जा रहा है। कोयला खदान, रेल, सेल, एलआईसी, एयरलाइन सभी राष्ट्रीय उद्योगों को बेचा जा रहा है। इसमें राज्य की तृणमूल सरकार भी पीछे नहीं है। राज्य सरकार ने भी प्रतिवर्ष 2 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था। लेकिन दुर्भाग्य के बात है कि पश्चिम बंगाल की युवाओं को नौकरी के लिए दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ रहा है। यह सही बात है कि तृणमूल सरकार राज्य की जनता के द्वारा भारी बहुमत से चुनकर आई है। लेकिन हम लोग मुख्यमंत्री से यह कहना चाहते हैं कि मुख्यमंत्री क्लबों मे खेल और पूजा के नाम पर और महिलाओं को लक्ष्मी भंडारे के तहत खैरात बांट रही है। इससे अच्छा है राज्य के प्रत्येक घर से एक युवा को नौकरी दे दी जाए। तो यह खैरात बांटने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। राज्य सरकार यहां रोजगार का सृजन करें। ताकि बंगाल के युवाओं को दूसरे राज्य का रूख नहीं करना पड़े।









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