रानीगंज- रानीगंज के त्रिवेणी देवी भालोटिया कॉलेज परिसर में मंगलवार को उस समय तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई, जब वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के सदस्य कॉलेज की दीवारों पर भाजपा-आरएसएस विरोधी पोस्टर लगा रहे थे. इस घटना को लेकर एसएफआई और तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) से जुड़े छात्रों के बीच तीखी नोकझोंक हुई, जिसके बाद परिसर में हंगामा मच गया.
एसएफआई से जुड़े चंडीदास गोस्वामी ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि असम में कथित तौर पर रवींद्रनाथ टैगोर के अपमान के विरोध में उनके संगठन की ओर से कॉलेज गेट के बाहर पोस्टर लगाए जा रहे थे। गोस्वामी के अनुसार, इसी दौरान टीएमसी छात्र संगठन के कुछ सदस्य मौके पर आए और उन्हें पोस्टर लगाने से रोका.
गोस्वामी ने आरोप लगाया कि टीएमसीपी के छात्र नेता प्रेम ने उन्हें धमकाया और पोस्टर लगाने से रोका. इसके बाद, उन्हें और उनके तीन साथियों को जबरदस्ती कॉलेज के अंदर रोककर रखा गया और लगातार धमकाया गया.उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र नहीं है, कॉलेज में छात्र यूनियन चुनाव नहीं हो रहे हैं, और जब रवींद्रनाथ टैगोर के अपमान के खिलाफ एसएफआई विरोध कर रहा था, तो उसे भी रोका गया.
वहीं, इस मामले में तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद के पश्चिम बर्धमान जिला महासचिव तितास बनर्जी ने एसएफआई के आरोपों का खंडन किया. बनर्जी, जो कॉलेज के पूर्व छात्र भी हैं, ने कहा कि उन्हें पता चला कि एसएफआई के कुछ लड़के कॉलेज में 'दादागिरी' कर रहे हैं, जिसके बाद कॉलेज के ही कुछ छात्रों ने उनका विरोध किया.
बनर्जी ने बताया कि उन्होंने तुरंत मामले की जानकारी कॉलेज के शिक्षकों को दी. शिक्षकों ने पुलिस प्रशासन को सूचित किया और डांटकर कॉलेज परिसर से बाहर निकाल दिया. उन्होंने जोर देकर कहा कि कॉलेज कैंपस के अंदर इस तरह से 'बाहरी तत्वों' का आना और दादागिरी करना अवांछित है और इसकी पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब उन्हें घटना की सूचना मिली, तो वह आए जरूर, लेकिन कॉलेज के अंदर नहीं घुसे, बल्कि बाहर से ही स्थिति की जानकारी ली.
कॉलेज के एक छात्र शंकर मुखर्जी ने बताया कि वह कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे, तभी उन्हें पता चला कि एसएफआई के कुछ सदस्य कॉलेज में आए हैं और 'दादागिरी' करने की कोशिश कर रहे हैं, वह तुरंत अपने सहपाठियों के साथ मौके पर पहुंचे और शिक्षकों को इस बारे में सूचित किया.
मुखर्जी ने भी कहा कि शिक्षकों द्वारा पुलिस को खबर दी गई और फिर एसएफआई सदस्यों को परिसर से निकाला गया. उन्होंने कॉलेज परिसर के अंदर इस तरह के 'बाहरी तत्वों' के प्रवेश और दादागिरी को बेहद अवांछित बताते हुए इस पर रोक लगाने की आवश्यकता जताई.
फिलहाल, पुलिस और कॉलेज प्रशासन ने हस्तक्षेप कर मामले को शांत करा दिया है, लेकिन इस घटना ने रानीगंज टीडीबी कॉलेज के परिसर की राजनीतिक खींचतान को एक बार फिर उजागर कर दिया है.











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