बल्लभपुर पेपर मिल मजदूर यूनियन के बैनर तले मिल को खोलने तथा श्रमिकों के बकाया वेतन देने की मांग पर किया प्रदर्शन

 


रानीगंज-वामपंथी श्रमिक संगठन सीटु अनुमोदित रानीगंज के बल्लभपुर पेपर मिल मजदूर सीटू।यूनियन के बैनर तले मिल को खोलने की मांग तथा इस मिल में काम करने वाले श्रमिकों के बकाया वेतन देने की मांग करते हुए शनिवार को श्रमिक नेता हेमंत प्रभाकर के नेतृत्व में श्रमिकों ने एक बार फिर विरोध प्रदर्शन किया.हेमंत प्रभाकर ने कहा कि संगठन की तरफ से पश्चिम बंगाल सरकार के जॉइंट लेबर कमिश्नर को एक पत्र भी लिखा गया है. जिसके जरिए यह मांग की गई है कि अविलंब इस पेपर मिल को खोला जाए तथा श्रमिकों के जो बकाया वेतन है उन्हें प्रदान किया जाए. हेमंत प्रभाकर ने कहा कि शत्रुघ्न सिन्हा एक सेलिब्रिटी हैं जीवन में उन्होंने कभी श्रमिकों जैसा संघर्ष नहीं किया है. इसलिए उनको श्रमिकों के जीवन में आने वाली कठिनाई के बारे में कोई अंदाजा नहीं है .उन्होंने कहा कि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के शासनकाल में पूरे देश में प्रवासी श्रमिक देखे जा रहे हैं. बंगाल के रहने वाले लोग यहां पर काम नहीं होने की वजह से दूसरे प्रदेशों में जा रहे हैं और हमने देखा है कि किस तरह से उनकी लाश वापस आ रही है .लेकिन इस बारे में भाजपा और टीएमसी किसी को कोई परवाह नहीं है .जबकि यह मिल कई माह से बंद है.उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जैसे प्रवासी श्रमिक होते हैं वह प्रवासी सांसद है .उनको बस यहां से चुनाव जीतना है और एसी कमरों में बैठना है. संसद में जाकर खामोश रहना है ,लेकिन सांसद बनकर पैसे कमाना है. उन्होंने कहा कि यहां की जनता को एक ऐसा सांसद चाहिए जो यहां की परेशानियों को संसद में उठा सके ना कि सबको खामोश कर दे जैसा कि टीएमसी के प्रत्याशी कहते हैं. उन्होंने कहा कि लोगों के सरोकारों को दरकिनार करके यह लोग कैसे वोट मांगने बल्लभपुर आते हैं यह यहां की जनता देखेगी. उन्होंने कहा कि इन जैसे प्रत्याशियों को यहां की जनता एक भी वोट नहीं देगी, क्योंकि इन्होंने इस क्षेत्र के लोगों की परेशानियों को दूर करने के बारे में सोचा तक नहीं है. उन्होंने भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया पर भी जुबानी हमला किया और कहा कि भाजपा और टीएमसी दोनों में कोई फर्क नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस जेके नगर कारखाने के बंद होने को लेकर सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. वह कारखाना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के शासनकाल में ही निजी कंपनी को बेचा गया था. इसलिए कारखाने को बंद किसने किया यह किसने कारखाना खुलवाने को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. यह सब जानते हैं उन्होंने आसनसोल के पूर्व सांसद बाबुल सुप्रियो पर भी कटाक्ष करते हुए दावा किया था कि हिंदुस्तान केबल्स को खुलवाएंगे लेकिन वह वादा भी पूरा नहीं हुआ. हेमंत प्रभाकर का कहना था कि दरअसल यह नेता बड़े-बड़े कॉर्पोरेट घरानों के इशारों पर चलते हैं .उनको श्रमिकों के सरोकारों से कोई लेना-देना नहीं है.

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