आसनसोल में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का वर्चुअलउद्घाटन मंत्री डॉ. शशि पांजा एवं समाज कल्याण विभाग भारत सरकार द्वारा किया गया




आसनसोल : जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) का गठन धारा 4 के तहत भारत में (किशोर न्याय, देखभाल और बच्चों का संरक्षण) अधिनियम, 2015 की तहत किया गया है। जो जल्द ही पश्चिम बर्दवान और क्लिंम्पोंग में काम करना शुरू कर देगा। जेजेबी में सभी आवश्यक सुविधाएं मौजूद हैं जैसे अलग प्रतीक्षालय, लड़कों व लड़कियों के लिए अलग शौचालय, बिना कोई हिचकिचाहट सहज बोलने में और सहज महसूस कराने के लिए परामर्श कक्ष आदि बच्चों की सुविधाएं उपलब्ध हैं। जेजे नियमों में निर्धारित प्रावधानों के अनुसार बच्चों के अनुकूल माहौल बनाया गया है और अभिनव के अलावा अन्य सुविधाएं दी गई हैं। जेजेबी में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं से अन्य जिलों में ऑब्जर्वेशन होम बच्चों के साथ संबंध स्थापित करने में मदद मिलेगी। नतीजतन,जेजेबी को पूछताछ के लिए अब बच्चों को लंबी दूरी की यात्रा करने की आवश्यकता नहीं है। 






इन दोनों जिलों में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का उद्घाटन डॉ. शशि पांजा, माननीय प्रभारी मंत्री महिला एवं बाल विकास पश्चिम बंगाल एवं समाज कल्याण विभाग भारत सरकार द्वारा बुधवार की दोपहर वर्चुअल माध्यम से किया गया। जबकि बोर्ड भवन में एडीजेएस श्रीमयी कुंडु ने फीता काटकर औपचारिक उद्घाटन किया। इस दौरान श्रीमयी कुंडू ने अपने व्यक्तव्य में कहा कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के पास किशोरों से संबंधित अधिनियम के तहत सभी कार्यवाही से विशेष रूप से निपटने की शक्ति है। एक बार जब अपराध किया जाता है और कानून के उल्लंघन में बच्चे को पकड़ लिया जाता है तो मामले को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के समक्ष लाया जाता है। जब तक जांच लंबित हो तब तक बच्चे को एक निरीक्षण गृह में रखा जाता है, जब तक कि कानून के अनुसार उसे रिहा न किया जाए। दोषसिद्धि पर बच्चे को विशेष घर या सुरक्षित स्थान पर भेजा जाता है। इससे पहले पश्चिम बर्दवान और कलिम्पोंग से कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चे को पूर्व बर्धमान और दार्जिलिंग में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के समक्ष पेश किया जाता था। जिससे बच्चे 24 घंटे के भीतर जेजेबी के समक्ष पेश होने के लिए लंबी दूरी तय करते थे। जो कभी-कभी काफी चुनौतीपूर्ण हो जाती थी। इसके अलावा, वास्तविक समय की निगरानी के लिए माननीय मंत्री द्वारा एक मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया जो पश्चिम बंगाल सरकार के महिला एवं बाल विकास एवं समाज कल्याण द्वारा कोविड-19 के कारण महामारी में अनाथ बच्चों को सहायता के लिए यह विभाग की एक पहल है। यह ऐप जिन बच्चों ने महामारी के दौरान या तो दोनों या एकल माता-पिता को खो दिया है उनकी स्थिति की निगरानी के लिए मॉनिटरिंग की जाएगी। भोजन और पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा और दुरुपयोग की घटनाओं जैसे चार मानकों पर कार्य करेगी। यह ऐप

एनआईसी के तकनीकी समर्थन से तैयार किया गया है और इसका उद्देश्य विभिन्न योजनाएं और सेवा वितरण संरचनाएं के साथ लिंकेज के माध्यम से सहायता प्रदान करना है। मौके पर  सीजेएम प्रांतिक रंजन घोष, डीएम एस अरुण प्रसाद, एडीएम,  डीसी हेडक्वार्टर अंशुमान साहा, आसनसोल नगरनिगम के चेयरपर्सन अमरनाथ  चटर्जी, आईएनटीटीयूसी जिलाध्यक्ष अभिजीत घटक आदि उपस्थित थे।

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