रानीगंज-कोरोना काल के दौरान भी आने वाले नगर निगम चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक दल मैदान में उतर चुकी है, ताकि अपनी पार्टी को मजबूती प्रदान कर नगर निगम पर कब्जा जमा सके.हर एक दिन शिल्पांचल के विभिन्न वार्डों के साथ ही रानीगंज खनि अंचल के भी हर एक वार्ड में सीपीआईएम, टीएमसी, बीजेपी सहित सभी पार्टियां चुनाव प्रचार कर रही है. वह भी सरकारी गाइडलाइन की धज्जियां उड़ा कर. रानीगंज में तृणमूल के हैवीवेट नेता रूपेश यादव अपने चुनाव प्रचार के लिए निकले थे तो उनके साथ काफी संख्या में कर्मी और समर्थक साथ थे, सिर्फ इतना ही नहीं इनमें से अधिकांश के भी चेहरे पर मास्क तक नजर नहीं आई. जब इस विषय पर रूपेश यादव से सवाल किया गया तो उन्होंने इसे नकारते हुए कहा कि मैंने सिर्फ तीन कर्मियों को लेकर वोट प्रचार शुरू किया था लेकिन अगर उनके चुनाव प्रचार में कर्मी जुड़ते जाए तो फिर इसमें वे क्या कर सकते हैं. वहीं कुछ इसी तरह का नजारा रानीगंज के 91नंबर वार्ड बाम प्रार्थी कल्लोल घोष के चुनाव प्रचार के दौरान देखा गया. काशीपुरडांगा मस्जिद पाडा सहित विभिन्न इलाकों में चुनाव प्रचार के दौरान समर्थकों की काफी भीड़ दिखाई पड़ी, यहां भी सभी के चेहरे से मास्क गायब दिखे.अपने चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने शहर की सुंदरता, पानी जल की सुविधा, जाम की समस्या से मुक्ति और सड़क की बदहाल अवस्था को दूर करने का जहां वादा किया तो कोरोना नियम की अवहेलना की बात भी स्वीकार की. हालांकि यहां भी एक ही कहानी दोहराई गई.वाम समर्थकों का कहना था कि नियम के अनुसार ही बहुत कम संख्या में वे लोग चुनाव प्रचार के लिए निकले थे लेकिन रास्ते में लोग जुड़ते चले गए.टीएमसी सीपीआईएम की तरह ही बाद में नंबर वार्ड बीजेपी प्रार्थी सुनीता कयाल के चुनाव प्रचार में भी देखने को मिला. कोरोना नियम की धज्जियां उड़ाने पर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि वे सभी नियम मानकर ही चुनाव प्रचार कर रही है. अब सवाल यह है कि अगर जनता के प्रतिनिधि चुने जाने वाले।ही खुद सरकारी गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई है तो फिर आम जनता का क्या हाल होगा यह तो सोचना भी नामुमकिन है.कई लोग इनके चुनाव प्रचार को देखकर अभी से डर के साये में जीने को मजबूर हो गए हैं, लोगों का कहना है कि चुनाव खत्म होने के बाद जिस तरह से राज्य में मरीजों संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है, उसकी संख्या दुगुनी से तीन गुनी बढ़ जाएगी.
कुछ लोगों का कहना है कि ऐसे भी चुनाव के दौरान हिंसा मारपीट होती ही रहती है, लेकिन इस बार जिस तरह से यह लोग बेफिक्र होकर सिर्फ अपने चुनाव प्रचार की धुन में लगे हुए हैं .इससे नुकसान आम जनता का होगा, क्योंकि राज्य सरकार आंशिक लॉकडाउन की जगह अगर संपूर्ण लॉकडाउन लगाती है, तो फिर लोगों की रोजी-रोटी पर भी मार पड़ी थी, खासकर गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार इससे काफी प्रभावित होता है.









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