दुर्गापुर:दुर्गापुर के द मिशन अस्पताल के चिकित्सकों ने 26 सप्ताह चार दिन प्रीमैच्योरिटी बच्ची को सफलतापूर्वक ईलाज कर बच्ची का जान बचाया.यह सिर्फ पहली बार नही है ,बल्कि ऐसा कारनामा इससे पहले भी इस अस्पताल के चिकित्सकों ने कर दिखाया है.डाॅ जोशी आनंद केकटा ने बताया कि इस अस्पताल में मेघा नाम की एक मरीज गर्भावस्था में भर्ती हुई थी.गर्भावस्था में बच्चे के साथ जटिलताएं पाए गए थे.आईवीएफ के कई परीक्षणों के बाद मां ने गर्भ धारण किया.मां ने बाद में गर्भावस्था प्रेरित उच्च रक्तचाप विकसित किया.मामले को बदतर बनाने के लिए वह समय से पहले प्रसव पीड़ा में चली गई.मां को शुरुआती प्रसव में जाने से रोकने के लिए स्टोराॅयड और मैग्नीशियम सल्फर और अन्य दवाएं दी गई. हर किसी के दुःस्वप्न के लिए 26 सप्ताह चार दिन में पानी टुट गया.ठीक 26 सप्ताह पांच दिन के गर्भ से बच्ची पैदा हुई.उस समय बच्ची का वजन 691 ग्राम था.उन्हें तुरंत एनआईसीयू ले जाया गया.बच्ची छोटी और नाजुक थी,उन्हें अपने फेफड़ों की मदद के लिए सर्फेक्टेंट का एक दौर मिला.उसे इन्क्यूबेटर में ब्रीफिंग ट्यूब और फीडिंग ट्यूब के साथ रखा गया.जब पहली बार एनआईसीयू गया तो उसने अपने छोटे से हाथ से मेरी उंगली पकङ ली और इससे मुझे वह सारी उम्मीद मिली जो मुझे प्रेमी होने से निपटने के चाहिए थी .उन्होनें वेंटिलेटर मशीन पर कम समय बिताया फिर एक गैर इनवेसिव वेंटिलेशन सीपीएपी में गए और सीपीएपी पर लंबे समय तक रहने के बाद उन्होनें अपने दम पर सांस लेने के लिए स्नातक किया.उन्हें आर्टिफिशयल फीडिंग पर शुरू किया गयाबेबी एक माह के लिए एनआईसीयू में ब्लैंकेट लाइट्स के तहत कई दौरों के उपचार के दौर से गुजर रहा था,वजन बढ रहा था,और खुद खाना सीख रहा था.आखिरकारm फाइटर बेबी की जीत हुई. इस अवसर पर अस्पताल के चेयरमैन डॉ सत्यजीत बोस,डाक्टर दिपानिता सेंन,डाक्टर हेमंत नायक,डाक्टर के मंडल मौजूद थे.









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