कोलकाता: राजनीतिक गलियारों में चल रही तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए पूर्व मंत्री और कोलकाता के पूर्व मेयर शोभन चट्टोपाध्याय ने सात साल बाद तृणमूल कांग्रेस में "घर वापसी" कर ली है। सोमवार को उन्होंने अपनी घनिष्ठ मित्र वैशाखी बंद्योपाध्याय के साथ आधिकारिक रूप से तृणमूल भवन जाकर पार्टी की सदस्यता फिर से ग्रहण की।
इस अवसर पर तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बक्सी और राज्य के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री अरूप विश्वास मौजूद थे।
2018 में दिया था इस्तीफा: ममता बनर्जी के लंबे समय तक करीबी रहे शोभन चट्टोपाध्याय ने 2018 में अचानक मंत्री पद और कोलकाता के मेयर पद से इस्तीफा दे दिया था, जिससे राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई थी।
भाजपा में किया प्रवेश: बाद में उन्होंने अपनी मित्र वैशाखी बंद्योपाध्याय के साथ दिल्ली जाकर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था।
सक्रिय राजनीति से दूरी: हालांकि, कुछ ही महीनों में भाजपा से उनका मोहभंग हो गया और वे सक्रिय राजनीति से दूर हो गए थे।
शोभन चट्टोपाध्याय की तृणमूल में वापसी की चर्चाएं पिछले कुछ समय से लगातार चल रही थीं।
भाईफोंटा और शहीद रैली: उन्होंने ममता बनर्जी के कालीघाट स्थित आवास पर "भाईफोंटा" भी लिया था। इसके अलावा, इस साल 21 जुलाई की शहीद रैली में भी उनके पार्टी में लौटने की जोरदार चर्चा थी, लेकिन तब ऐसा नहीं हो पाया था।
अभिषेक और ममता से मुलाकात: हाल ही में शोभन ने अभिषेक बनर्जी से कैमैक स्ट्रीट स्थित कार्यालय में मुलाकात की थी। इसके बाद, उन्होंने दार्जिलिंग के रिचमंड हिल में तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी से लंबी बातचीत की थी। इस बैठक के बाद अभिषेक बनर्जी ने कहा था कि उनकी वापसी पर अंतिम निर्णय ममता बनर्जी ही लेंगी।
प्रशासनिक पद पर वापसी और भावुकता
पार्टी में वापसी से ठीक पहले, शोभन चट्टोपाध्याय को एक बड़ी प्रशासनिक जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्हें न्यूटाउन-राजारहाट के कोलकाता विकास प्राधिकरण का चेयरमैन नियुक्त किया गया।
सात साल बाद किसी प्रशासनिक पद पर हुई इस वापसी से शोभन बेहद भावुक दिखे। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा:
“दीदी ने मुझे यह जिम्मेदारी सौंपी है। मैं हर तरह से इसे निभाने की कोशिश करूंगा। न्यूटाउन और राजारहाट को और बेहतर बनाने के लिए काम करूंगा। ममता बनर्जी का धन्यवाद करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।”
शोभन और वैशाखी की इस वापसी को तृणमूल कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है।











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