जामुड़िया- जामुड़िया विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत नगर निगम के वार्ड संख्या चार स्थित राजपुर नंदी मार्ग पर माकपा के कार्यकाल में बना नजरुल शतवार्षिकी भवन आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. यह ऐतिहासिक भवन अब इतना जर्जर हो चुका है कि इसमें प्रवेश करते ही लोगों को डर का अहसास होता है. प्रेक्षागृह की छत जगह-जगह से टूटकर गिर रही है, और दीवारों पर भी गहरी दरारें पड़ गई हैं इन खतरनाक स्थितियों के बावजूद, यहां बड़े-बड़े कार्यक्रमों का आयोजन लगातार हो रहा है, जिससे कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना होने का खतरा बना हुआ है.
करोड़ों रुपये की लागत से विभिन्न संस्थाओं और नगरपालिका के सहयोग से निर्मित इस 750 सीटों वाले प्रेक्षागृह का उद्घाटन 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने किया था. इसका मुख्य उद्देश्य जामुड़िया की सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखना था. इस प्रेक्षागृह ने कई महत्वपूर्ण आयोजनों की मेजबानी की है, जिनमें सुविख्यात जादूगर पी.सी. सरकार का सात दिवसीय शो, जिला पुस्तक मेला, और विभिन्न राजनीतिक दलों की बड़ी-बड़ी सभाएं शामिल हैं. इसके बावजूद, नगर निगम इस भवन के रखरखाव में पूरी तरह विफल रहा है, जिसके कारण यह आज उपेक्षा का शिकार है
जीर्णोद्धार के वादे और उनकी विफलता
2015 में जामुड़िया नगर पालिका का आसनसोल नगर निगम में विलय होने के बाद, तत्कालीन मेयर जितेंद्र तिवारी ने इस भवन के जीर्णोद्धार के लिए 2 करोड़ 50 लाख रुपये की घोषणा की थी, लेकिन उनके वादे पूरे नहीं हुए. इसके बाद, जब बाराबनी के विधायक विधान उपाध्याय को नगर निगम का मेयर बनाये गये, तो उन्होंने पूर्व मेयर जितेंद्र तिवारी से एक कदम आगे बढ़ते हुए 5 करोड़ 50 लाख रुपये के आवंटन की घोषणा की, हालांकि, उनके वादे भी धराशायी हो गए.नतीजतन, इस ऐतिहासिक भवन को लेकर अब राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है.
बरसात में झरना, गर्मी में पसीना: बदहाल सुविधाएं
प्रेक्षागृह की हालत इतनी खराब है कि बरसात के दिनों में यहां कार्यक्रम आयोजित करना लोगों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता. छत से लगातार पानी टपकता है और छत के टुकड़े भी टूट कर गिरते रहते हैं.वहीं, यह प्रेक्षागृह वातानुकूलित नहीं है, और 750 सीटों वाले इस प्रेक्षागृह में पंखे इतनी दूर-दूर लगे हैं कि लोगों तक हवा नहीं पहुँच पाती, जिससे गर्मी में आयोजकों और श्रोताओं दोनों को भारी परेशानी होती है.
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और भविष्य की उम्मीद
पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य विश्वनाथ यादव ने जामुड़िया बोरो एक के साथ नगर निगम प्रशासन के भेदभावपूर्ण रवैये को नजरुल शतवार्षिकी भवन का "जीवित उदाहरण" बताया. उन्होंने कहा कि रखरखाव के अभाव में प्रेक्षागार चारों तरफ से टूट चुका है और बरसात में यह "झरने" में तब्दील हो जाता है. विश्वनाथ यादव ने राज्य सरकार से जामुड़िया को नगर निगम से निकालकर पुनः नगरपालिका का दर्जा देने की मांग की, ताकि जामुड़िया का समुचित विकास हो सके.
हालांकि, नगर निगम के बोरो एक के चेयरमैन शेख शानदार ने उम्मीद की किरण जगाई है. उन्होंने कहा कि मेयर विधान उपाध्याय ने सूचित किया है कि जामुड़िया सहित नगर निगम के सभी प्रेक्षागृहों के जीर्णोद्धार के लिए फंड तैयार कर दिया गया है.शेख शानदार ने आश्वासन दिया कि बहुत जल्द ही जामुड़िया नजरुल शतवार्षिकी भवन का जीर्णोद्धार कर उसे एक आधुनिक भवन का रूप दिया जाएगा.
क्या जामुड़िया के इस ऐतिहासिक भवन का जीर्णोद्धार सचमुच हो पाएगा, या यह भी पिछले वादों की तरह सिर्फ एक घोषणा बनकर रह जाएगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा.
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