मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी अस्पताल को कुछ लोग बदनाम करने की कर रहे हैं चेष्टा- राजेंद्र प्रसाद खेतान
रानीगंज :- रानीगंज मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी अस्पताल के तत्वाधान में रविवार को 300 विधवाओं एवं दिब्यांगो को बिना मूल्य राशन वितरण किया गया.
इस अवसर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रानीगंज शाखा की अध्यक्ष डॉक्टर चैताली बासु,मशहूर आर्थोपेडिक चिकित्सक अरुपानंद पाल,अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन की अध्यक्ष अंजु सतनालिका,
सामाजिक संस्था रंगोली के सदस्य
डिंपल केशरी,पुजा केशरी,रूही साव,रानीगंज मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी अस्पताल के कर्णधार आरपी खेतान,समाजसेवी प्रदीप बाजोरिया और तमाम सदस्यगण उपस्थित थे.
इस दौरान आरपी खेतान ने कहा कि बीते 10 वर्षों से मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी की तरफ से 300 विधवाओं और दिव्यांगों को गोद लिया हुआ है हर महीने उनको निशुल्क राशन घरेलू उपयोग की सामग्री प्रदान की जाती है. इस महीने भी उनको निशुल्क राशन प्रदान किया गया.
रानीगंज मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी अस्पताल में चल रहे वेतन को लेकर गतिरोध के बारे में कहा कि रानीगंज मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी हॉस्पिटल में अक्सर यहां पर कार्यरत कर्मचारी सही समय पर वेतन नहीं मिलने को लेकर शिकायत करते हैं . यह आरोप बिल्कुल बेबुनियाद है. यहां पर जो डॉक्टर काम करते हैं उनका वेतन भले एक दो महीने से बाकी है, लेकिन यहां पर काम कर रहे स्टाफ में से किसी का भी वेतन बाकी नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी कर्मचारी को बिना वजह के काम से नहीं निकाला गया, अगर कोई कर्मचारी शराब पीकर काम करने आएगा तो प्रबंधन इसे बर्दाश्त नहीं करेगा . ऐसे भी कर्मचारी हैं जो महीने में 15 दिन से भी ज्यादा अनुपस्थित रहते हैं ऐसे कर्मचारियों के बल बुते एक अस्पताल नहीं चल सकता . एक कर्मचारी ने सात बार माफ़ी मांगी थी उसके बाद भी वह अपनी आदतों से जब बाज नहीं आया तो उसे काम से निकाला गया. कुछ कर्मचारी हॉस्पिटल में चोरियां करते हैं, अस्पताल में जब गरीब तबके के लोग इलाज कराने आते हैं तो उनसे पैसों की मांग की जाती है यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. राजेंद्र प्रसाद खेतान ने कहा कि अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारी वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं जो इस समय अस्पताल प्रबंधन के लिए स्वीकार करना संभव नहीं है. पिछले साल हॉस्पिटल को एक करोड रुपए का घाटा हुआ था. इस साल हॉस्पिटल तकरीबन 40 लाख रुपए के घाटे में चल रही है. अगर अस्पताल के कर्मचारियों का वेतन बढ़ा दिया गया तो हॉस्पिटल को 30 लाख रुपए का और घाटा सहना पड़ेगा. अगर ऐसा ही चलता रहा तो हॉस्पिटल को बंद करना पड़ेगा. आज जो स्थिति है ऐसे में या तो बड़े निजी अस्पताल चल सकते हैं जो मरीज से हजारों रुपए लेते हैं या खैराती अस्पताल चल सकते हैं, लेकिन मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी जैसे हॉस्पिटल जो बेहद कम पैसों के बदले उच्च स्तरीय इलाज उपलब्ध कराते हैं उनके लिए हॉस्पिटल चलाना मुश्किल है . रानीगंज मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी हॉस्पिटल की तरफ से हर महीने 350 गरीब विधवाओं को एक महीने का राशन दिया जाता है इसके अलावा घरेलू जरूरत के सामान उपलब्ध कराए जाते हैं इतना ही नहीं उनका अस्पताल में मुफ्त इलाज किया जाता है. इन सब के लिए हर साल लाखों रुपए खर्च होते हैं लेकिन इस बात का उन्हें अफसोस कि लोगों तक यह सारी जानकारी नहीं पहुंचती. दो-चार लोग अस्पताल प्रबंधन को बदनाम करने के लिए झूठे आरोप लगा देते हैं और लोग उन्हें को सच मान लेते हैं.











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