रानीगंज-विभिन्न श्रमिक संगठनों द्वारा बार-बार यह आरोप लगाया जाता रहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार कोयला खदानों का निजीकरण कर रही है. इसे लेकर ट्रेड यूनियनों द्वारा बार-बार विरोध प्रदर्शन भी किया जाता रहा है.मंगलवार को रानीगंज के बांसड़ा सी पीट में श्रमिक संगठन एटक की तरफ से प्रदर्शन किया गया. इस बारे में संगठन के महासचिव गुरदास चक्रवर्ती ने कहा कि पहले कोयला उद्योग से जुड़े श्रमिक संगठनों के प्रयास से कोयला उद्योग के निजीकरण को रोका जा सका था, लेकिन अब ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है इसकी एकमात्र वजह है. श्रमिक संगठनों में आपसी एकता का अभाव श्रमिक अब श्रमिक संगठनों पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं, जिस वजह से केंद्र सरकार आसानी से कोयला उद्योग के 75% हिस्से का निजीकरण कर चुकी है .उन्होंने कहा कि अगर इसको रोकना है तो सभी श्रमिक संगठनों को एकजुट होना होगा. तब जाकर केंद्र सरकार के मंसूबों को नाकाम किया जा सकता है उन्होंने कहा कि यह विभिन्न श्रमिक संगठनों के नाकामी है कि वह एकजुट नहीं हो पा रहे हैं और केंद्र सरकार अपनी मनमानी कर रही है ,लेकिन उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले समय में विभिन्न श्रमिक संगठन एकजुट होंगे और केंद्र सरकार की मनमानी नहीं चलने देंगे और कोयला उद्योग को निजीकरण के हाथों से बचाएंगे उन्होंने कहा कि कोयला उद्योग को निजीकरण के हाथों से बचना बहुत जरूरी है क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो केंद्र सरकार पूरी की पूरी कोयला उद्योग को निजीकरण कर देगी जिससे कि श्रमिकों को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा. गुरदास चक्रवर्ती ने कहा कि श्रमिक संगठन इस बारे में विचार विमर्श कर रहे हैं और अपने दोष त्रुटि पर मंथन कर रहे हैं और उनको पूरा भरोसा है कि आने वाले समय में सभी श्रमिक संगठन एक होकर केंद्र सरकार के खिलाफ बड़ा प्रतिरोध तैयार करेंगे जिससे कि कोयला उद्योग का निजीकरण नहीं हो पाएगा.
कार्यकारी अध्यक्ष जी एस ओझा ने सभा की अध्यक्षता करते हुए कहा कि जिस प्रकार से कोयला उद्योग को एक षड्यंत्र के तहत निजी करण में ले जानेकी कोशिश जारी है.उसे रोकना अति आवश्यक है क्योंकि निजीकरण के नीति से श्रमिकों को उनका मेहनत का हक नहीं मिलता.शोषण का शिकार हो रहे हैं .संयोजक अमर सिंह ने कहा कि पूरे कोयला उद्योग में काला बादल मंडरा रहा है पूंजी पत्तियों का यह सरकार श्रमिक हित के लिए एक भी योजना पर काम नहीं कर रही .कोयला उद्योग का राष्ट्रीय करण श्रमिक हित के लिए किया गया था और शोषणमुक्त किया गया ,लेकिन वर्तमान सरकार जिस रूप से पूंजी पत्तियों के लिए काम कर रही है जनहित में नहीं है. हम लोग 9 अगस्त से 15 अगस्त विरोध सप्ताह का पालन कर रहे हैं.संयुक्त महासचिव अनिल सिंह पीयूष शर्मा,उत्पल दास ,अमित दास, ,देबाशीष कर्माकर, दुखी दास ,बिक्रमा यादव ने भी अपना वक्तव्य रखा.
रानीगंज । बांसरा कोलियरी में एआईटीयूसी की ओर से आयोजित कोयला खानों को निजीकरण का विरोध सप्ताह के अंतर्गत सभा को संबोधित करते हुए महासचिव गुरदास चटर्जी ने कहा कि हम लोग सरकार की कर्मचारी व जनविरोधी नीतियों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार पूंजीपति की सरकार है श्रमिक विरोधी नीतियों पर चल रही है। देश के पब्लिक सेक्टर को पूंजी पत्तियों के हाथ में एक के बाद एक दे रही है।
कार्यकारी अध्यक्ष जी एस ओझा ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि जिस प्रकार से कोयला उद्योग को एक षड्यंत्रके तहत निजी करण में ले जानेकी कोशिश जारी हैउसे रोकना अति आवश्यक है क्योंकि निजीकरण के नीति से श्रमिकों को उनका मेहनत का हक नहीं मिलता। शोषण का शिकार हो रहे हैं । संयोजक एवं वरिष्ठ नेता अमर सिंह ने कहा कि पूरे कोयला उद्योग में काला बादल मंडरा रहा है पूंजी पत्तियों का यह सरकार श्रमिक हित के लिए एक भी योजना पर काम नहीं कर रही ।कोयला उद्योग का निजीकरण श्रमिकहित के लिए किया गया था और शोषणमुक्त किया गया लेकिन वर्तमान सरकार जिस रूप से पूंजी पत्तियों के लिए काम कर रहीहै जनहित में नहीं है। हम लोग 9 अगस्त से 15 अगस्त इस सप्ताह का पालन कर रहे हैं। सयुक्त महासचिव अनिल सिंह ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर पीयूष शर्मा,उत्पल दास ,अमित दास, ,देबाशीष कर्माकर, दुखी दास ,बिक्रमा यादव ने भी अपना वक्तव्यरखें।










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