रानीगंज-रानीगंज के त्रिवेणी देवी भालोटिया कॉलेज में संथाली भाषा और अलचीकी लिपि में स्नातक स्तर पर इसी शिक्षा वर्ष से पढ़ाई शुरू करने की मांग पर दिशम आदिवासी गांवता की तरफ से फाइट फॉर मदर टंग के बैनर तले पिछले 9 दिनों से लगातार अनशन किया जा रहा है.गुरुवार को संगठन की तरफ से रानीगंज के पंजाबी मोड इलाके से कॉलेज तक एक विशाल रैली निकाली गई. इस रैली में सिर्फ रानीगंज और आसपास के क्षेत्र के ही नहीं बल्कि अन्य जिलों के भी आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे .इनके अलावा यहां पर बांग्लादेश से आए बांग्लादेश राष्ट्रीय आदिवासी
परिषद की तरफ से स्टीफन सोरेन भी यहां पर उपस्थित हुए थे. वह एक गायक हैं और अपने गायन के जरिए आदिवासी समाज के अधिकारों के प्रति समाज को जागरुक करते हैं . निकाली गई रैली में आदिवासी समाज के सैकड़ो महिला-पुरुष आदिवासी पारम्परिक अस्त्र -शस्त्र लेकर कॉलेज के सामने पहुंचे.इस रैली के दौरान दिशम आदिवासी गांवता के प्रदेश पर्यवेक्षक भुवन मंडी ने कहा कि पिछले 9 दिनों से आदिवासी समाज के लोग यहां पर अनशन कर रहे हैं, लेकिन कॉलेज प्रबंधन को कोई परवाह नहीं है. इसी से पता चलता है कि वह लोग आदिवासी समाज को किस नजर से देखते हैं .लेकिन ऐसा नहीं होगा आदिवासी समाज के लोग धरती के सबसे पुराने निवासी हैं .वह धरतीपुत्र में और भाषा को लेकर जो आंदोलन चल रहा है .वह आगे भी चलता रहेगा और तब तक वह अपना आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे .जब तक उनको अपना अधिकार नहीं मिल जाता .उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के लोग कोई बहुत बड़ी चीज नहीं मांग रहे हैं. वह मातृभाषा में शिक्षा का अधिकार मांग रहे हैं .उन्होंने कहा कि आज के इस आंदोलन में सिर्फ रानीगंज ही नहीं बल्कि पूर्वी वर्धमान ,बांकुड़ा ,पुरुलिया, मेदिनीपुर यहां तक की बांग्लादेश से भी आदिवासी समाज के लोग आए हैं. जो इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज की महा रैली में जितने लोग आए हैं वह सिर्फ एक ट्रेलर है और अगर आदिवासी समाज की मांग नहीं मानी गई तो इससे भी बड़े पैमाने पर आंदोलन किया जाएगा. वहीं कॉलेज के टीचर इन चार्ज मोबीनुल इस्लाम ने कहा कि कॉलेज प्रबंधन आदिवासी समाज की मांग के प्रति सहानुभूति पूर्ण है. इसीलिए कॉलेज द्वारा उच्च शिक्षा दफ्तर को एक प्रस्ताव भेजा गया है .उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को कॉलेज के जीबी बोर्ड के अध्यक्ष की मौजूदगी में भेजा गया. अब उच्च शिक्षा दफ्तर क्या फैसला लिया जाता है .इसका इंतजार करना होगा. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के लोग सेल्फ फिनानांस पर पढ़ना नहीं चाहते वह चाहते हैं कि कॉलेज इसका इंतजाम करें इस पर भी अंतिम फैसला उच्च शिक्षा दफ्तर को ही लेना है. हम सबको उच्च शिक्षा दफ्तर के फैसले का इंतजार करना होगा. आज की महारैली में दिशम आदिवासी गांवता के जिला सचिव सुकु मुर्मु ,संगठन के राज्य सचिव रॉबिन सोरेन, भुवन मंडी, दुर्गापुर नगर कॉरपोरेशन के सदस्य अमित कुमार टुडू और संगठन के सदस्य संजय हेंब्रम आदि उपस्थित थे.











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