साइबर ठगी: एक पीड़ित को राहत दिलाने के लिए पुलिस ने दूसरे के किया दमन, किया कौन भरा कौन यूपीआई के माध्यम से पेमेंट लेने का खामियाजा उठाना पड़ा व्यवसायी को
साइबर ठगी के पैसे से 25 हजार रुपये का खरीदा गया सामान, पुलिस के दबाव के ठगी का पैसा चुकाना पड़ा दुकानदार को
पुलिस के निर्देश पर व्यवसायी का बैंक अकाउंट कर दिया गया था फ्रीज, पैसा भुगतान करने पर फ्रीज हटा
रानीगंज-. साइबर ठगी के शिकार कोलकता के एक नागरिक राजकुमार दे को राहत दिलाने के लिए पुलिस ने रानीगंज थाना के निकट स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी प्रोडक्ट से जुड़े सामानों की दुकान मेसर्स विनायक के मालिक संदीप कुमार कयाल का दमन कर डाला. साइबर ठगी से लूटे हुए पैसे से एक व्यक्ति ने श्री कयाल की दुकान से 25 हजार रुपये का सामान खरीदा और यूपीआई के माध्यम से पेमेंट किया. साइबर ठगी का 25 हजार रुपये श्री कयाल का अकाउंट के आने के कारण पुलिस ने उनके बैंक खाता फ्रीज करवा दिया. पुलिस के दबाव के श्री कयाल को 25 हजार रुपये राजकुमार दे के अकाउंट में वापस लौटाने के बाद उनके अकाउंट से फ्रीज हटाया गया. श्री दे को 25 हजार रुपये मिल गये उन्हें राहत मिल गयी लेकिन श्री कयाल को बिना किसी गलती के 25 हजार रुपये का भुगतान करना पड़ा उनके साथ कैसे न्याय होगा? इसपर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है. यह सिर्फ श्री कयाल के अकेले का मामला नहीं है, ऐसे अनेकों मामले सामने आये हैं. जिसमें व्यवसायी को सामान बेचने का खामियाजा भुगतना पड़ा और उनके साथ न्याय नहीं हो रहा है.
क्या है पूरा मामला ?
मेसर्स विनायक के मालिक श्री कयाल ने बताया कि सात अगस्त को उनके दुकान पर एक ग्राहक आया और उसने विभिन्न प्रकार के पांच डीवीआर और एक बुलेट कैमरा एक एमपी का खरीदा. सीजीएसटी और एसजीएसटी के साथ पक्के कागजात में 25 हजार रुपये का बिल हुआ. ग्राहक ने यूपीआई के माध्यम से पेमेंट किया और सामान लेकर चला गया. 12 अगस्त को एचडीएफसी बैंक सिटी सेंटर दुर्गापुर शाखा से सूचना मिलती है कि साइबर ठगी का 25 हजार रुपये खाते में आया है, जिसके कारण पुलिस के निर्देश पर अकाउंट फ्रीज कर दिया गया है. श्री कयाल ने बताया कि बैंक में जाने पर बताया गया कि मोचीपाड़ा थाना में मामला हुआ है और जीडी नम्बर दिया गया. मोचीपाड़ा थाना कोलकाता में संपर्क करने पर पता चला कि वहां कोई मामला नहीं हुआ है. बैंक में आकर संपर्क करने पर एक फोन नम्बर दिया गया और संपर्क करने को कहा गया. फोन पर संपर्क करने पर पता चला कि वह नम्बर कोलकाता सेंट्रल डिवीजन साइबर सेल का है. साइबर सेल में बैठी महिला अधिकारी से बात करने पर उन्होंने कहा कि 25 हजार रुपये आप लौटा दीजिए तो आपका अकाउंट चालू हो जायेगा, वर्ना जबतक प्रक्रिया चलती रहेगी अकाउंट फ्रीज रहेगा. उनसे अनुरोध किया कि 25 हजार रुपये फ्रीज करके बाकी पैसे का लेनदेन करने दें. उधर से कहा गया कि 25 हजार रुपये पहले जमा कीजिये. साइबर सेल से एसबीआइ आईएफसी कोड एसबीआईएन-0011374 शाखा के ग्राहक राजकुमार दे का अकाउंट नम्बर में 25 हजार रुपये भुगतान करने को कहा गया. 17 अगस्त को पैसे का भुगतान करने के बाद 19 अगस्त को एचडीएफसी बैंक का फ्रीज हटा. श्री कयाल ने कहा कि इस घटना से यह सीख मिली कि यूपीआई से पेमेंट नहीं लेना है. 25 हजार रुपये का सामान बेचकर 200 से 500 रुपये का मुनाफा मिलता है. 25 हजार का सामान भी गया और 12 दिनों तक जो परेशानी हुई वह अलग से है. व्यवसायी कैसे जानेगा कि कौन व्यक्ति ठगी के पैसे से सामान खरीद रहा है. सामान बेचकर इसतरह कोई भी नहीं फंसना चाहेगा.
ऐसे मामलों के क्या है पुलिस का नियम?
साइबर सेल के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि ठगी का पैसा व्यवसायी के खाते में आने के बाद पुलिस के कहने पर उसने पैसा वापस कर दिया. अब वह व्यवसायी सामान लेकर ठगी का पैसा देनेवाले के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकते हैं. पुलिस व्यवसायी को पैसा लौटाने के लिए बाध्य नहीं कर सकती है. पुलिस मामले की जांच करेगी यदि ठग के साथ व्यवसायी की संलिप्ता नहीं मिलती है तो नॉर्मल कोर्स में उसके बैंक अकाउंट को खोल दिया जायेगा. संभवतः इस मामले में व्यवसायी ने अपना अकाउंट जल्दी खुलवाने के लिए 25 हजार रुपये का भुगतान कर दिया है. मामला जांच का विषय है.










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