रानीगंज-ईसीएल द्वारा सीएसआर परियोजना के तहत काम न होने के कारण बुधवार को तीराट गांव के निवासीयों ने आंदोलन शुरू कर दिया है . ज्ञात हो कि इसके पूर्व भी इसी साल 27 जून को गांव के किसानों व ग्रामीणों ने निमचा कोलियरी के एजेंट को ज्ञापन देकर मांग की थी कि ईसीएल के हाईवॉल माइनिंग से सटे आदिवासी पाड़ा व तीराट गांव में बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए ईसीएल को कदम उठाने होंगे. क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति करके, ईसीएल को आदिवासी इलाकों का विद्युतीकरण करना होगा. इस हाईवॉल माइनिंग के परिणामस्वरूप क्षेत्र में कुएं और जलाशय सूख गए हैं जल संकट से निपटने के लिए वैकल्पिक पानी उपलब्ध कराना होगा साथ ही, उन्होंने मांग की कि ईसीएल के भूमिगत जल को क्षेत्र के घटक बांध तालाब में लेकर फिर सिंचाई नहरों के माध्यम से किसानों की खेती योग्य भूमि तक आपुर्ति की जाए.वहीं बुधवार को पुनः ग्रामीणों को आंदोलन करते देख मांग को पूरा करने के लिए विभागीय अधिकारियों ने बुधवार की सुबह से ही मिट्टी काटने की मशीन से सिंचाई नहर बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी. हालांकि, अब तक उन्होंने आदिवासी इलाकों में पानी की आपूर्ति और बिजली सेवाएं प्रदान करने की मांग को पूरा नहीं किया है. उस मुद्दे को लेकर क्षेत्र के निवासियों ने अन्य सभी मांगों को पूरा करने कि मांग करते हुए कहा कि ईसीएल ने एक बार सीएसआर परियोजना के माध्यम से हाईवाल माइनिंग करने से पहले क्षेत्र के लोगों को ये सभी लाभ प्रदान करने का वादा किया था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. उन्होंने मांग की कि ईसीएल अधिकारियों को उन मुद्दों पर कार्रवाई करनी होगी अन्यथा स्थानीय निवासी बड़े आंदोलन की राह पर अपनाएंगे.इस आंदोलन के दौरान तीराट ग्राम के दिलीप चटर्जी, सुंदर गोराई, श्रवण गोप, बबन हेम्ब्रम के नेतृत्व में ग्रामीणों ने बुधवार को अपनी आवाज बुलंद की.









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