मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहब फाल्के अवॉर्ड, प्रधानमंत्री मोदी और सुकान्त मजूमदार सहित अन्य हस्तियों ने दी बधाई, 8 अक्टूबर को मिलेगा यह सम्मान



कोलकाता (पीबी टीवी )-  बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और राजनेता मिथुन चक्रवर्ती को  इस साल दादा साहेब फाल्के पुरस्कार दिया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार (30 सितंबर) को इसकी आधिकारिक घोषणा की। मिथुन चक्रवर्ती को 8 अक्टूबर को 70 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में सम्मानित किया जाएगा।भारत के प्रधानमंत्री ने मिथुन को दादा साहब फाल्के सम्मान मिलने पर बधाई देते हुए लिखा, 'यह खुशी की बात है कि मिथुन चक्रवर्ती को भारतीय सिनेमा में उनके अद्वितीय योगदान के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है।'  भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने भी आज ट्वीट कर बधाई दी.

सम्मान मिलने पर मिथुन दा ने कहा है, 'सच कहूं तो मेरे पास कोई भाषा नहीं है। न मैं हँस सकता हूँ, न मैं खुशी से रो सकता हूँ। यह बहुत बड़ी बात है. मैं जहां से आता हूं, उस स्थान का सम्मान है, मैं सोच भी नहीं सकता. मैं इसे अपने परिवार और दुनिया भर के प्रशंसकों को समर्पित करता हूं।'

 बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती मिथुन ने अपने फ़िल्मी केरियर की शुरुआत 1976 में मृगया फ़िल्म से की थी। उन्होंने अपनी पहली ही फिल्म में नेशनल अवॉर्ड जीता था. 1982 में आई डिस्को डांसर से उन्हें पहचान मिली.

अश्विनी वैष्णव ने एक्स लिखा, मिथुन दा की उल्लेखनीय सिनेमाई यात्रा पीढ़ियों को प्रेरित करती है। यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि दादा साहब फाल्के चयन जूरी ने भारतीय सिनेमा में उनके प्रतिष्ठित योगदान के लिए इस वर्ष महान अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को यह पुरस्कार देने का निर्णय लिया है।

एक समय नक्सली रहे मिथुन चक्रवर्ती का जन्म 16 जून 1950 को कोलकाता में हुआ था। उनका असली नाम गौरांग चक्रवर्ती है। मिथुन ने केमिस्ट्री से ग्रेजुएशन किया। ग्रेजुएशन के बाद मिथुन नक्सली आंदोलन में शामिल हो गए, कट्टर नक्सली बन गए और घर से दूर चले गए। दुर्भाग्य से मिथुन के इकलौते भाई की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई। घर की कठिन परिस्थितियाँ देखकर उन्होंने नक्सली आंदोलन छोड़ दिया और घर की ओर रुख कर लिया। नक्सलवाद से नाता तोड़ने पर मिथुन की जान को भी खतरा था, लेकिन इसके बावजूद वह डरे नहीं। आंदोलन में शामिल रहने के दौरान उनकी दोस्ती कुख्यात नक्सली रवि रंजन से गहरी हो गयी थी.

मिथुन घर लौट आए उनका रुझान हिंदी सिनेमा की ओर गया. उन्होंने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट से एक्टिंग सीखी और फिर काम की तलाश में मुंबई आ गए। कई दिनों तक उन्होंने भूखे पेट रातें बिताईं. कई महीनों की मेहनत और इंतज़ार के बाद उन्हें हेलेन का असिस्टेंट बनने का मौका मिला. कुछ फिल्म निर्माताओं ने मिथुन को छोटी-छोटी भूमिकाएँ दीं। मिथुन को अमिताभ बच्चन की फिल्म दो आँखे में एक छोटा सा रोल मिला था.

एक दिन कॉलेज में मशहूर फिल्म निर्माता मृणाल सेन की नजर मिथुन पर पड़ी। उस दिन मिथुन कॉलेज की कुछ लड़कियों के साथ यूं ही फ्लर्ट कर रहे थे। मिथुन से मृणाल इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उन्हें अपनी फिल्म मृगया ऑफर कर दी। इस तरह मिथुन ने बतौर हीरो अपने करियर की शुरुआत 1976 की आर्ट फिल्म मृगया से की। इस फिल्म के लिए मिथुन दा को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। मिथुन एकमात्र ऐसे अभिनेता हैं, जिन्होंने अपनी पहली फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता है। इसके अलावा उन्हें 1993 की फिल्म ताहादेर कथा और 1996 की फिल्म स्वामी विवेकानंद के लिए भी राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है।

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