रानीगंज-दिवाली कार्यक्रम को लेकर कई परंपराएं हैं, उनमें से एक दिवाली से एक दिन पहले भूत चतुर्दशी या भूत नरक चतुर्दशी मनाने की प्रथा है.मूल रूप से दिवाली से एक दिन पहले, यह रहस्यमय दिन भूत चतुर्दशी है. इस दिन को मनाने के लिए पूर्वजों ने कई रीति-रिवाज किए हैं, और आज भी घर की माताएं उन रीति-रिवाजों का अक्षरश: पालन कर रही हैं.इस बार भी धार्मिक लोगों ने भूत चतुर्दशी पालन किये. इस दिन बाजारों में खूब बिके 14 प्रकार के साग. इस दिन बंगाल के हर घर में में 14 प्रकार के साग खाने और 14 दीपक जलाने की प्रथा है. इसलिए शनिवार को विभिन्न प्रकार की साग सब्जियों की भारी मांग रही. 14 प्रकार के सागों को मिलाकर कोयलांचल शहर के विभिन्न बाजारों में बेचा जाता रहा. इस 14 सागों का मिश्रित एक पैकेट मात्र दस रुपये में उपलब्ध हैं. 14 प्रकार के साग में पालक, कोलार्ड साग, मटर साग, आलू साग और चना साग,सहजन,पालक शामिल हैं. बाजार में महज दस रुपये में 14 साग का पैकेज मिलने से खरीदार भी खुश हैं. भूत चतुर्दशी में, ग्रामीण बंगाल में अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए आज के दिन 14 दीपक जलाने की प्रथा है. और ऐसे नियम-कायदे लोगों के घरों में सदियों से चले आ रहे हैं. कई लोग इस दिन गंगा में स्नान करते हैं और विभिन्न अनुष्ठान करते हैं और पूजा करते हैं. इस दिन और रात को, दीपदान की परंपरा का पालन करते हुए, कई भक्त शाम को दीपदान करने से पहले सुबह से ही 14 सब्जियां इकट्ठा करने के लिए निकल पड़ते हैं.आज भी अगर आप गांव के आंगन में जाएं तो आप देख सकते हैं कि घर की महिलाएं और वरिष्ठ सदस्य तरह-तरह की सब्जियां चुनने में व्यस्त हैं. यह खास सब्जी कई सब्जियों को रोजमर्रा की सब्जियों के साथ मिलाकर तैयार की जाती है. यदि 14 प्रकार के साग उपलब्ध नहीं हैं, तो कभी-कभी करी पत्ता और यहां तक कि नीम की पत्तियां भी सब्जी के रूप में लाई जाती हैं और उन्हें इन 14 सब्जियों की सूची में जोड़कर विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं.शनिवार को भूत चतुर्दशी के अवसर पर, 14 सब्जियां लेने के लिए कई भक्त बाजार में उमड़ पड़े. सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि कुछ ही घंटों में सभी साग खत्म हो गईं. कई लोग कहते हैं कि इस दिन स्वर्ग और नरक के द्वार एक पल के लिए खोले जाते हैं, और तभी हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और दीपक का संकेत देख अपने पूर्वजों के पास पहुंचते हैं और उन्हें अपना आशीर्वाद देते हैं. तो इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए निश्चित समय पर यह व्रत करने की प्रथा है. इसलिए उसी के अनुसार पूर्वजों ने दोपहर के भोजन के साथ इस सब्जी को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट पर लेने का विधान किया था, अब पता चला है कि अगले दिन दोपहर 2 बजकर 6 मिनट तक इस त्योहार का पालन करने का समय है. शाम होते ही घर में 14 दीपक जलाने की परंपरा है.इन दीपकों को घर के मुख्य द्वार और छत के साथ-साथ दसों दिशाओं और घर के मध्य भाग पर जलाने की परंपरा देखी जा सकती है, जिसका पालन इस वर्ष भी धार्मिक लोगों द्वारा किया गया.
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