रानीगंज/कोलकाता: चिकित्सा सेवा और मानव कल्याण के प्रति समर्पित रहे आनंदलोक हॉस्पिटल समूह के कर्णधार और संस्थापक देव कुमार सराफ ( का रविवार सुबह 3:00 बजे कोलकाता के साल्टलेक स्थित आनंदलोक हॉस्पिटल में निधन हो गया. वह 88 वर्ष के थे.
उनके निधन से चिकित्सा और सामाजिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है.
बीमारी के बाद अस्पताल में अंतिम सांस
देव कुमार सराफ दुर्गा पूजा के समय से ही बीमार चल रहे थे. बीमारी की गंभीरता को देखते हुए, पहले उन्हें न्यू अलीपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बाद में, उन्हें कोलकाता के साल्ट लेक स्थित आनंदलोक अस्पताल ले जाया गया, जहाँ रविवार तड़के 3 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके पार्थिव शरीर को आनंदलोक हॉस्पिटल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि और अंतिम विदाई दी. उनका अंतिम संस्कार कोलकाता के नीमतला घाट श्मशान में किया गया. वह अपने पीछे दो पुत्रियों सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं.
रानीगंज के स्वास्थ्य जगत में अमूल्य योगदान
देव कुमार सराफ केवल एक उद्यमी नहीं थे, बल्कि एक दूरदर्शी समाजसेवी थे, जिन्होंने चिकित्सा सेवा को जन-जन तक पहुँचाने का मिशन शुरू किया. उनका सबसे बड़ा योगदान "कोलकाता और। रानीगंज में है. वह कोलकाता, रानीगंज,चकुलिया (झारखंड) स्थित आनंदलोक अस्पताल के संस्थापक थे.रानीगंज का पहला हृदय रोग अस्पताल: रानीगंज स्थित आनंदलोक अस्पताल इस क्षेत्र का पहला और प्रमुख हृदय रोग अस्पताल माना जाता है, जिसने शिल्पांचल के लोगों को घर के पास ही विशेषज्ञ स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई.
वर्ष 2001 में, रानीगंज चैंबर ऑफ कॉमर्स में आयोजित एक सम्मान समारोह के दौरान उन्होंने कहा था कि "यदि रानीगंजवासी हमें एक ज़मीन का टुकड़ा देंगे, तो हम यहाँ आनंदलोक अस्पताल की स्थापना करेंगे." इसी संकल्प के साथ, वर्ष 2003 में इस अस्पताल की स्थापना की गई.
कम खर्च में उच्च चिकित्सा सेवा
देव कुमार सराफ के नेतृत्व में आनंदलोक अस्पताल में मात्र 45,000 रुपये की लागत में बाईपास सर्जरी की शुरुआत की थी, जो उस समय चिकित्सा जगत में एक बड़ी और क्रांतिकारी उपलब्धि थी. धीरे-धीरे यह अस्पताल हृदय रोगों के साथ-साथ अन्य चिकित्सा सेवाओं के लिए भी प्रसिद्ध हो गया. आज भी आनंदलोक अस्पताल कम खर्च में अधिक सेवा देने की अपनी परंपरा को कायम रखे हुए है.
देव कुमार सराफ का जीवन चिकित्सा सेवा और मानव कल्याण के प्रति समर्पण का एक प्रेरणादायक उदाहरण रहा.उनके निधन पर लोगों का कहना है कि उनकी कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा.











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