रानीगंज-दीपावली और काली पूजा के पवित्र अवसर पर पूरा रानीगंज शहर दूधिया रोशनी से सुसज्जित हो गया है.दुर्गा पूजा के बाद आए इस पावन पर्व पर शहर के विभिन्न इलाके मनोहरी ढंग से सजाए गए हैं, जिससे चारों ओर उत्सव का माहौल है. इस अवसर पर रानीगंज में कई जगहों पर काली पूजा का भव्य आयोजन किया गया है, जिनमें दो प्रमुख कमेटियों के पंडाल इस वर्ष खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.
अशोक पल्ली: आदिवासी संस्कृति पर आधारित 53वां वर्ष
रानीगंज में काली पूजा आयोजनों में अशोक पल्ली युव समाज द्वारा आयोजित पूजा का अपना एक अलग स्थान है. इस वर्ष यह कमेटी अपनी काली पूजा का 53वां साल मना रही है.
कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि इस बार उनके पंडाल का थीम भारत की प्राचीन आदिवासी परंपरा पर आधारित है. पंडाल में पारंपरिक आदिवासी वाद्य यंत्रों और आदिवासियों की जीवन शैली को खूबसूरती से दर्शाया गया है.उन्होंने यह भी बताया कि पंडाल के निर्माण में ज्यादातर प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल किया गया है.हर साल की तरह, इस साल भी माँ काली की प्रतिमा मां दक्षिणा काली मंदिर में स्थापित मूर्ति के तर्ज पर बनाई गई है.पंडाल के निर्माण में 15 दिन से अधिक समय लगा है.
पूजा के अवसर पर 21, 22 और 23 तारीख को सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा. इसमें शांतिनिकेतन की नृत्य शैली का अनुकरण करते हुए प्रस्तुति दी जाएगी, साथ ही स्थानीय और प्रख्यात कलाकारों द्वारा भी कार्यक्रम पेश किए जाएंगे. कमेटी ने महिला सशक्तिकरण को दर्शाते हुए पूजा के पवित्र जल को लाने के लिए महिला ढाकियों की विशेष व्यवस्था की है. पूजा के बाद विशाल भोग का भी आयोजन होगा, जिसमें हजारों श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करेंगे.
शैलजा कानन: सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश
रानीगंज की एक और प्रतिष्ठित कमेटी शैलजा कानन सार्वजनिन काली पूजा कमिटि पिछले 20 वर्षों से पूरी श्रद्धा और धूमधाम से काली पूजा का आयोजन कर रही है.
कमेटी के अध्यक्ष इंद्रजीत कोनार ने बताया कि इस वर्ष उन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव को अपनी पूजा का थीम बनाया है.कोलकाता के मध्यम ग्राम से आए कलाकार ने इस थीम को मूर्तरूप दिया है, जबकि पंडाल का निर्माण रानीगंज के ही एक स्थानीय कारीगर ने किया है.इस थीम के जरिए कमेटी समाज में सद्भाव को बढ़ावा देने का संदेश देना चाहती है.
पंचांग के अनुसार सही तिथि पर पूजा का आरंभ होगा, और इसके उद्घाटन के समय रानीगंज के विधायक तापस बनर्जी उपस्थित हुए. काली पूजा के अगले दिन, 21 तारीख को, 'सारेगामा' रियलिटी शो से जुड़े एक कलाकार द्वारा बाउल संगीत पेश किया जाएगा, वहीं 22 तारीख को ग्रुप डांस का कार्यक्रम होगा. 24 तारीख को विसर्जन के बाद खिचड़ी भोग का आयोजन किया गया है.
इस आयोजन में करीब ₹3,50,000 का खर्च आएगा. इंद्रजीत कोनार ने बताया कि पूजा को सफल बनाने में सेक्रेटरी शुभो भट्टाचार्य, कोषाध्यक्ष कुणाल साहा सहित पूरी टीम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.












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