सेल आईएसपी यूनिट आईएनटीटीयूसी द्वारा सम्मेलन आयोजित, मंत्री मलय ने दिया व्यक्तव्य




आसनसोल : आईएनटीटीयूसी सेल आईएसपी यूनिट के द्वारा रविवार को बर्नपुर स्थित संप्रीति हॉल में यूनियन का सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में राज्य के कानून एवं श्रम मंत्री मलय घटक उपस्थित थे। इस मौके पर मंत्री मलय घटक ने इस्को के इतिहास के बारे में बताते हुए, इस्को के स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने श्रम कानून और उद्योगों को निजीकरण करने को लेकर केंद्र सरकार पर हमला भी बोला।साथ ही उन्होंने यूनियन कैसे चलाना चाहिए। इसको लेकर भी नसीहत दी। उन्होंने आईएसपी में तृणमूल के श्रम संगठन को बढ़ाने का तरीका भी बताया।उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि भारत का सबसे पहला इस्पात कारखाना इंडियन आयरन स्टील एंड कंपनी था। इसका पहला कारखाना कुल्टी में खुला। बाद में बर्नपुर में इस्को दूसरा युनिट खुला। इस्पात बनाने के लिए जिन कच्चा खनिजों की आवश्यकता थी। उसका खदान भी इस्को का अपना था। रामनगर कोलयरी इस्को का था।लौह अयस्क का खदान गोमीयों से लेकर और 4 जगहों पर थी। इस्को बाद में सेल में विलय हो गया। इसके बाद इसे आईएसपी कहा जाने लगा। इस्को के दौरान श्रमिकों की जो सुविधाएं मिलती थी। कोयला गाड़ी से घर तक पहुंचाया जाता था। आवासों को जो सुख सुविधाएं थी। धीरे-धीरे खत्म की जा रही है। केंद्र सरकार ने 42 राष्ट्रीय उद्योगों का बेचने का निर्णय ले चुका है।जिसके तहत एयर इंडिया बिक्री कर दिया गया। एलआईसी को बिक्री करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।इस तरह कई राष्ट्रीय उद्योगों को बेचने का साजिश हो रहा है। सेल भी आज नहीं तो कल नहीं तो परसों बिक्री हो जाएगा।देश के उद्योगों को खरीदने वाले दो ही कंपनी है। अडानी और अंबानी। यदि ऐसे ही चलता रहा तो कुछ वर्षों बाद पता चलेगा कि पूरे देश की राष्ट्रीय संपत्ति को अडानी और अंबानी ने खरीद लिया है। इसका सीधा असर जो स्थाई सर्विस कर रहे है। उन पर भी पड़ेगा। क्योंकि निजीकरण होने के बाद जो उनके मालिक होंगे। वह श्रमिकों को छंटाई करना शुरू कर देंगे। उन्हें 8 घंटे के बदले 12 घंटे कार्य करना पड़ेगा।जिस की लड़ाई लड़ने के लिए अमेरिका के शिकागो में श्रमिकों ने गोलियां खाई, संघर्ष किया। तब 8 घंटे का कानून बना। श्रमिकों के लिए 36 कानून है। लेकिन अब केंद्र सरकार पूरे 36 कानून को हटाकर चार श्रम कोड लाई है। इसके तहत श्रमिकों के ऊपर उद्योगपति जो भी अत्याचार करेंगे। उसके खिलाफ कोई आंदोलन नहीं कर सकते।श्रम कोर्ट में नहीं जा सकते।अदालत में नहीं जा सकते हैं। इन मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए हमें लड़ाई लड़ने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें श्रमिकों को समझाना होगा।उन्होंने कहा कि दुर्गापुर स्टील प्लांट और ईसीएल में में एटक, सीटू, एचएमएस बीएमएस के यूनियन हैं। लेकिन वहां अंतिम बात आईएटीटीयूसी का ही चलता है।हालांकि अभी तक कोयला खदान में जेबीसीसीआई में आईइनटीटीयूसी को जगह नहीं मिली है।लेकिन उन जगहों पर सबसे ज्यादा श्रमिक आईएनटीटीयुसी के साथ हैं। आईएसपी में हमारे स्थाई कर्मी सदस्य 800 हुए हैं। यहां 6000 के लगभग स्थाई कर्मचारी हैं। जबकि साढ़े नो हजार अस्थाई कर्मचारी हैं। हमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपना सदस्य बनाना होगा। उन्होंने कहा कि श्रम संगठन एक अनुशासन संगठन है। राजनीतिक पार्टियों में जुलूस सामूहिक रूप से चलता है। लेकिन यूनियन का जुलूस दो लाइन में चलनी चाहिए। हमें आईएसपी में यूनियन के बढ़ावा देने के लिए एक कार्यालय बनाना होगा। उस पर प्रतिदिन पदाधिकारी बैठे। यह सुनिश्चित करना होगा।आसनसोल दक्षिण विधानसभा में 22 वार्ड पड़ते हैं। सभी वार्ड में तृणमूल कांग्रेस के पार्षद हैं। उनसे सहयोग लेकर आइएनटीटीयूसी के सदस्यों को बढ़ाया जाए।उससे भी नहीं होगा तो तृणमूल कांग्रेस के विधायक है, मंत्री हैं। सब आपके साथ खड़े हैं। आप लोग संगठन को मजबूत करें।

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