रांनीगंज-उत्तराखंड के जोशीमठ में हुए भु धसान के कारण पूरे शहर को प्रशाशन द्वारा खाली कराये जाने की घटना को लेकर मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संवाददाताओं को।रानीगंज को लेकर भी आशंका जताते हुए कहा कि रानीगंज शहर पर भी भु धसान का खतरा मंडरा रहा है . ममता बनर्जी ने कहा की रानीगंज में ईसीएल द्वारा कोयला उत्खनन के कारण जमीन खोखली हो गई है. टीएमसी सरकार ने कई बार केंद्र सरकार से धसान प्रभावित इलाके के लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था करने की मांग की गई है, राज्य सरकार की तरफ से जमीन तो दी गयी है लेकिन पुनर्वास के लिए जिस आर्थिक अनुदान की जरूरत है ,केंद्र सरकार ने अभी तक वह नहीं दिया है .यही वजह है कि पुनर्वास का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है .मुख्यमंत्री ने आशंका जताई कि अगर रानीगंज में धसान होता है तो एक साथ कम से कम 30 हजार लोग प्रभावित होंगे . मुख्यमंत्री के दिये गये इस बयान से फिर एक बार रांनीगंज कोयलांचल में रहने वाले लोगो में आतंक सृष्टि कर दिया है. इस संदर्भ में रानीगंज के कुछ विशिष्ट व्यक्तियों की विभिन्न राय उभरकर सामने आईं. आसनसोल के पूर्व सांसद सीटू के जिला सचिव वंश गोपाल चौधरी ने कहा कि जोशीमठ की घटना की वैज्ञानिक जांच चल रही है और नतीजे आने के बाद ही इस पर कोई टिप्पणी करना उचित होगा
रानीगंज के विषय पर उन्होंने कहा कि जब यहां कोयला खदाने निजी हाथों में थी तब से ही यहां पर बिना किसी परियोजना के कोयले का उत्खनन किया गया था. जिस वजह से रानीगंज धसान प्रभावित शहर बन गया. उन्होंने कहा कि आज जरूरत है तो सही तरीके से शहर की खोखली जमीन को भरने की और योजनाबद्ध तरीके से कोयला निकालने की आर धसान प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों के पुनर्वास की व्यवस्था करने की. उन्होंने कहा कि रानीगंज पर इतना बड़ा खतरा मंडरा रहा है इसके बावजूद अभी भी यहां अवैध कोयला उत्खनन धड़ल्ले से चल रहा है ,जबकि सीपीएम के समय ही यहां के प्रभावित लोगो के पुनर्वास के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था,पुनर्वास का कार्य आरम्भ भी हुआ था,परन्तु जबसे टीएमसी की सरकार आई है,इस पर कोई कार्य नहीं किया जा रहा है. फास्बेक्की के अध्यक्ष सह रानीगंज चैम्बर ऑफ कॉमर्स के सलाहकार राजेन्द्र प्रसाद खेतान ने कहा कि राजनीति से उनका कोई लेना-देना नहीं लेकिन यह सच्चाई है कि रानीगंज आज धसान प्रभावित शहर बन गया है, और इसकी वजह अवैध कोयला उत्खनन है. इसके लिए केंद्र सरकार या राज्य सरकार जिम्मेदार है. वह नहीं जानते लेकिन उनकी बस एक ही मांग है कि रानीगंज को बचाया जाए . उन्होंने साफ कहा कि वह लोग रानीगंज छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे जिस तरह से साउथ अफ्रीका ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड इंग्लैंड आदि देशों में वैज्ञानिक तरीके से जमीन के नीचे कंक्रीट भराई की जाती है, उसी तरह से रानीगंज में भी करना होगा ताकि इस शहर को बचाया जा सके, यहां के नागरिकों को कहीं और स्थानांतरित करना इस समस्या का हल नहीं है . उन्होंने सवाल किया कि क्या केंद्र और राज्य सरकार इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि मारवाड़ी अस्पताल सहित पूरा रानीगंज भरभरा कर जमीन के नीचे समा जाए, तब वह कोई कार्यवाही करेंगे. रानीगंज नगर पालिका के पूर्व पार्षद आरिज जलेश का कहना है कि रानीगंज शहर वैसे ही अंदर से पूरी तरह से खोखली है एवं मुख्यमंत्री की बात सही है कि यह शहर भी कहीं जोशीमठ की तरह ना हो जाए क्योंकि इस शहर के को कि इस रानीगंज कोयला अंचल क्योंकि यह रानीगंज कोयला अंचल अंदर से खोखली होने के कारण जमीन के अंदर पानी के ऊपर यह शहर टिकी हुई है एवं माकपा के कार्यकाल तक राज्य में माकपा के कार्यकाल तक इस शहर में कहीं भी बोरिंग नहीं की जाती थी इसका मूल कारण लिया था की बोरिंग करने से शहर में जमीन के अंदर पानी की कमी होगी एवं उस स्थान पर जमीन धसेगी परन्तु जबसे रानीगंज आसनसोल नगर निगम टीएमसी के अधीन आई है यहां पर लगातार बोरिंग का आदेश दिया जा रहा है बड़े-बड़े मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बन रही है सरकार को इस और इस पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है. क्योंकि पहले यहां सिर्फ 4 मंजिला तक भवन बनाने का आदेश दिया जाता था आज उस स्थान पर 6 से सात सात 7 मंजिला मकान बनाने का आदेश दी जा रही है जबकि इस शहर को बचाने के लिए इस दिशा में नगर निगम को।अंकुश लगानी चाहिए .वही इस शहर के व्यवसायी रितेश सिंह ने भी मुख्यमंत्री की बातों से सहमति जताई और कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं कहा है रानीगंज का एक बहुत बड़ा हिस्सा आज शून्य में झूल रहा है और कभी भी पूरा का पूरा इलाका धस सकता है .इनका कहना है कि रानीगंज का डोम पाड़ा बावरी पाड़ा शिशु बागान नेताजी मोड में कई बार धसान हुआ है और कभी भी यह इलाके जमीन के नीचे समा सकते हैं जिससे यहां के लोग हमेशा आतंकित रहते हैं.
बरदहि निवासी अर्जुन विश्वकर्मा ने कहा कि रांनीगंज वासियों से कहा गया था कि पानागढ़ में उनको पुनर्वास दिया जाएगा लेकिन अभी तक उस पर भी कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया रहा है .सिर्फ योजना ही बन रही है,अमली जामा से यह कोशो दूर है.









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