रांनीगंज-उत्तराखंड के जोशीमठ में भु धसान की खबरें आने के बाद से जोशीमठ के साथ-साथ पूरे देश में खलबली सी मच गई है .मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जोशीमठ की घटनाओं पर गहरी चिंता जताते हुए इस बात की भी आशंका जताई कि अगर समय रहते कार्यवाही नहीं की गई तो कोयला खनी शहर रानीगंज और आसपास के क्षेत्रों का भी वही हाल हो सकता है जो कि जोशीमठ का हो रहा है. मुख्यमंत्री के बयान के बाद जब बुधवार को रानीगंज के आसपास के कुछ क्षेत्रों का दौरा किया और जमीनी हकीकत को जानने की कोशिश की तो देखा गया कि रानीगंज के निकट आमकोला बाउलहीड गांव में की जो तस्वीरें नजर आई वह किसी को भी चिंता में डालने के लिए काफी थी. देखा गया कि इस क्षेत्र के कई स्थानों से जमीन के नीचे से धुआं निकल रहा है. दरअसल यहां पर जमीन के नीचे आग लगी हुई है जिस वजह से यह धुंआ निकल रहा है. जब स्थानीय निवासियों से बात की तो उनका कहना है कि जमीन से यह धुंआ बीते कई वर्षों से निकल रहा है लेकिन ईसीएल का इस तरफ इस और कोई ध्यान नहीं है .इनका कहना है कि ईसीएल कोयला तो निकाल लेती है लेकिन उसके बाद वैज्ञानिक तरीके से भराई करने के काम में ढिलाई बरतती है, जिस वजह से जमीन के नीचे आग लगी रहती है और यह धुआं निकलता है. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने जो आशंका जताई है वह निराधार नहीं है. आम कोला का यह गांव उस बात का सबूत है स्थिति इतनी भयानक हो चुकी है कि कभी भी यहां पर समूचा गांव जमींदोज हो सकता है .ग्रामीणों ने बताया कि यहां पर कई परिवार बसते हैं और स्थिति अगर ऐसे ही बनी रहे तो इन परिवारों पर कभी भी आफत के बादल टूट सकते हैं. इनका आरोप है कि यहां पर अवैध खनन भी धड़ल्ले से किया जाता है लेकिन इन सब चीजों को रोकने की तरफ प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है, जिसका खामियाजा यहां के निवासियों को भुगतना पड़ रहा है .गांव वालों ने एक जगह दिखाई जहां पर 40 फुट चौड़ा धसान हो गया है .स्थानीय लोगों का कहना है की यह सिर्फ एक जगह की बात नहीं है इस तरह के हादसे गांव में कहीं भी हो सकते हैं और वह लोग हमेशा इसी आतंक में रहते हैं कि कब पूरा का पूरा गांव जमीन के नीचे समा जाए . इन गांव वालों का कहना है कि जिस तरह से ईसीएल की लापरवाही के कारण वैज्ञानिक तरीके के बिना ही कोयला निकाला जा रहा है और कोयला निकालने के बाद भराई नहीं की जा रही है. उस वजह से समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, वहीं कोयले के अवैध उत्खनन को भी इस पूरे घटनाक्रम के लिए गांव वालों ने जिम्मेदार ठहराया ईसीएल और प्रशासन से इनकी एक ही मांग है कि जल्द से जल्द जमीन के नीचे भड़क रही आग पर काबू पाया जा सके ताकि इन्हें हमेशा इस आतंक में जीना न पड़े की पूरा का पूरा गांव कभी भी जमींदोज हो जाये. हालांकि इस बारे में ईसीएल के पूर्व एक अधिकारी का कहना है कि खनी भाषा में इसे स्पोंटीनियस हीटिंग कहते है,दरअसल जिस स्थान से कोयला निकाली जाती है, उस स्थान को सठिक रूप से भराई न किये जाने से उस स्थान के भीतर मौजूद कोयला ऑक्सीजन के सम्पर्क में आने से उसी फटी हुई जमीन धुंआ निकलनी आरम्भ हो जाती है,इस पर रोक लगाने के लिए उस स्थान की सठिक रूप से मिट्टी भराई करना जरूरी है,अन्यथा भयावह आग लग सकती है.









0 टिप्पणियाँ