आसनसोल : पीएम मोदी की मां हीराबेन का निधन शुक्रवार तड़के अहमदाबाद के अस्पताल में हो गया। हीराबेन की उम्र 100 साल थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन की बुधवार को तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
अंतिम संस्कार गांधीनगर के श्मशान घाट पर हो रहा कि।
हीराबेन, जिन्हें हीराबा भी कहा जाता है, को बुधवार सुबह ‘यू.एन. मेहता इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर’ में भर्ती कराया गया था। अस्पताल ने आज एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री की मां हीराबेन मोदी का आज निधन हो गया। इस दौरान वहां प्रधानमंत्री मोदी के बड़े भाई सोमाभाई भी अस्पताल में मौजूद थे।
हीराबेन की मृत्यु के बाद प्रधानमंत्री ने अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। मालूम हो कि आज हावड़ा में पीएम मोदी द्वारा पश्चिम बंगाल का पहला सेमी हाई स्पीड ट्रेन बंदे भारत का उद्घाटन होना था। यह ट्रेन हावड़ा से न्यू जलपाईगुड़ी तक का सफर करेगी परंतु पीएम मोदी की मां के निधनके बाद अगले आदेश तकसभी कार्यक्रम रद्द हो गए हैं।
हीराबेन की मृत्यु पर सत्ता पक्ष तथा विपक्ष के लगभग सभी बड़े नेताओं ने ट्वीट कर दुख व्यक्त किया है।
हीराबेन गांधीनगर शहर के पास रायसन गांव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छोटे भाई पंकज मोदी के साथ रहती थीं। प्रधानमंत्री जब भी गुजरात जाते थे तो नियमित रूप से रायसन भी जाते रहते थे और अपनी अधिकांश गुजरात यात्राओं के दौरान अपनी मां के साथ समय बिताते थे।
उन्होंने इसी साल जून में अपने जीवन के 100वें वर्ष में प्रवेश किया था। उनका जन्म 18 जून 1923 को मेहसाणा में हुआ था। हीराबेन की शादी दामोदरदास मूलचंद मोदी से हुई थी। दामोदरदास तब चाय बेचा करते थे। हीराबेन और दामोदरदास की 6 संतानें हुईं। नरेंद्र मोदी तीसरे नंबर पर थे। हीराबेन और दामोदरदास की दूसरी संतानें हैं - अमृत मोदी, पंकज मोदी, प्रह्लाद मोदी, सोमा मोदी और बेटी वसंती बेन एवं हंसमुखलाल मोदी।
हीराबेन ताउम्र संघर्षशील महिला रहीं। पीएम मोदी कई बार अपनी मां के संघर्षों का भावुक अंदाज में जिक्र कर चुके हैं। साल 2015 में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग के साथ बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने अपनी मां के संघर्षों को याद किया था, तब उन्होंने कहा था कि, 'मेरे पिताजी के निधन के बाद मां हमारा गुजारा करने और पेट भरने के लिए दूसरों के घरों में जाकर बर्तन साफ करती थीं और पानी भरती थीं,' तब मां की तकलीफों को याद करते हुए पीएम मोदी भावुक हो रो पड़े थे।
पीएम मोदी के भाई प्रह्लाद मोदी ने हीराबेन के 100वें वर्ष में प्रवेश करने पर अपनी मां की जीवन की कहानी साझा की थी। प्रह्लाद मोदी ने बताया था कि उनकी मां जब मात्र 6 महीने की थीं, तब उनकी नानी उन्हें छोड़कर चल बसीं थीं। उनका संघर्ष तो इतिहास ही जानता है। प्रह्लाद मोदी ने कहा कि मेरी नानी के गुजर जाने के बाद नाना ने दूसरी शादी की फिर उनसे जो बच्चे हुए उनके पालन पोषण की जिम्मेदारी भी हीरा बा पर ही थी। वे कहते हैं कि उनकी मां छोटी उम्र में ही मां बन चुकी थीं। भाग्य को इससे ही संतोष न था नानाजी की दूसरी पत्नी गुजर गईं, फिर उन्होंने तीसरी शादी की। उनसे बच्चे हुए, उनका जिम्मा भी हीराबेन पर ही आया। फिर उन्होंने अपने बच्चों को भी पाला। इसके बावजूद उन्हें अपनी जिंदगी से शिकायत न रही।










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