बांकुड़ा: दीपों के पर्व दीपावली की रौनक बांकुड़ा में अपने चरम पर है। हर घर में खुशियों और रंगों का संगम देखने को मिल रहा है। शहर के नूतन गंज इलाके से लेकर राधा भवन धर्मशाला तक, हर जगह रंगोली की छटा बिखरी हुई है।
दीपावली पर रंगोली बनाने की परंपरा न सिर्फ सजावट का हिस्सा है, बल्कि यह देवी लक्ष्मी के स्वागत का प्रतीक भी मानी जाती है। मान्यता है कि सुंदर रंगोली देखकर धन, समृद्धि और शुभता का आगमन होता है।
हालांकि आधुनिक जीवनशैली में रंगोली बनाने की परंपरा कुछ कम होती दिख रही है, लेकिन बांकुड़ा के लोगों ने इस संस्कृति को जीवित रखने का संदेश दिया है। रविवार की शाम बांकुड़ा राधा भवन धर्मशाला में इसका सुंदर उदाहरण देखने को मिला, जहां युवतियों ने सामूहिक रूप से रंगोली बनाकर छोटी दीपावली का आनंद लिया।
कार्यक्रम में बांकुड़ा मारवाड़ी समाज की महिलाओं के साथ अन्य समाज की महिलाएं भी शामिल हुईं। रंगों और दीयों से सजे धर्मशाला प्रांगण में खुशियों का माहौल छा गया। युवतियों ने बताया कि वे हर वर्ष की तरह इस बार भी अपने घरों में रंगोली बना रही हैं और सामूहिक रंगोली के माध्यम से मिलन का आनंद भी उठा रही हैं।
पश्चिम बंग प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन, बांकुड़ा शाखा के अध्यक्ष नरेंद्र शर्मा ने बताया,
“हर वर्ष की तरह इस बार भी हमारे घर पर रंगोली बनाई गई है। इस बार कुछ अलग करते हुए सामूहिक रूप में धर्मशाला में सबके साथ मिलकर रंगोली बनाने का निर्णय लिया गया, जिससे आनंद और भी बढ़ गया।”
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि दीपावली के दो दिन बाद ‘दीपावली मिलनोत्सव’ का आयोजन भी इसी धर्मशाला प्रांगण में किया जाएगा।
रंगों, रोशनी और उत्सव के इस संगम ने बांकुड़ा शहर को दीपावली के पहले ही खुशियों की रंगोली में रंग दिया है।











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