रानीगंज,- बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक आदिवासी लड़की के साथ बलात्कार और निर्मम हत्या के मामले में आरोपी शिक्षक को फांसी की सज़ा दिए जाने की मांग को लेकर शनिवार को रानीगंज क्षेत्र में आदिवासी समाज का ज़बरदस्त आक्रोश फूट पड़ा.इरेलेडी मांझी मापाजी संगठन के नेतृत्व में हजारों की संख्या में आदिवासी महिला-पुरुषों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 19 पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया और आरोपी शिक्षक मनोज पाल का पुतला फूंका.
मुख्य मांगें और आरोप
विरोध प्रदर्शन का केंद्र बिंदु रामपुरहाट की घटना थी, जिसमें आरोपी शिक्षक मनोज पाल पर आदिवासी लड़की के साथ बलात्कार करने और उसकी निर्ममता से हत्या करने का आरोप है. प्रदर्शनकारियों ने एक सुर में मांग की कि आरोपी शिक्षक मनोज पाल को जल्द से जल्द फांसी की सज़ा दी जाए. आदिवासी नेता संजय हेंब्रम ने आरोप लगाया कि प्रशासन रामपुरहाट के मामले में उतनी सक्रियता नहीं दिखा रहा जितनी किसी अन्य समाज की लड़की के साथ वारदात होने पर दिखाता है. उन्होंने कहा कि लड़की के परिवार को उसके हाथ-पांव कटे हुए लाश मिली, फिर भी प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई. संजय हेंब्रम ने ज़िक्र किया कि सिर्फ रामपुरहाट ही नहीं, बल्कि बांकुड़ा और पुरुलिया जैसे इलाकों में भी आदिवासी लड़कियों पर अत्याचार, बलात्कार और हत्याएं हुई हैं, लेकिन दोषियों को अब तक सज़ा नहीं मिली है. प्रदर्शनकारियों ने यह भी मांग की कि जिन लोगों ने इस जघन्य घटना को 'छोटा मामला' बताकर दबाने की कोशिश की, उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाए. संजय हेंब्रम ने मांग की कि मृत लड़की के कटे हुए हाथ और पैर ढूंढे जाएं और डीएनए मैचिंग के बाद उसके माता-पिता को सौंपे जाएं. उन्होंने दुर्गापुर के निजी मेडिकल कॉलेज में हुए बलात्कार कांड का हवाला देते हुए कहा कि जब अन्य समाज की लड़की के साथ ऐसी घटना होती है तो सांसद, विधायक और पूरा प्रशासन सक्रिय हो जाता है, लेकिन रामपुरहाट में कोई नेता या मंत्री नहीं पहुंचा और न ही मुख्यमंत्री ने कोई सुध ली है. संजय हेंब्रम ने चेतावनी दी कि अगर आदिवासी लड़कियों के साथ ऐसे अत्याचार जारी रहे, तो आने वाले समय में आदिवासी समाज के लोग पूरे बंगाल को स्तब्ध कर देंगे.
विरोध रैली टीबी अस्पताल के पास एनएच-19 से शुरू हुई और रानीसायर मोड़ के पास सिधु-कान्हू की प्रतिमा के नीचे समाप्त हुई. प्रदर्शनकारियों ने हाथों में बैनर-पोस्टर लेकर न्याय की मांग बुलंद की और आरोपी शिक्षक मनोज पाल का पुतला फूंका. इस विशाल रैली और विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व संजय हेंब्रम, बाबलू हांसदा, जहर बास्की, विजय मुर्मू, महाजन बास्की, चांद हांसदा, रूबी किस्कू और मोंटू टुडू जैसे आदिवासी नेताओं ने किया.
आदिवासी संगठनों ने बांकुड़ा और बीरभूम जिले में हुई इन घटनाओं को 'निर्भया जैसी घटना' बताते हुए अपना आक्रोश व्यक्त किया और सभी दोषियों को जल्द से जल्द फांसी की सज़ा देने की मांग की.











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