कोलकाता (पीबी टीवी )कोलकाता में कल रात माचू बाजार के फलपट्टी स्थित एक होटल में आग लगाने से अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है। 13 लोग घायल हो गये हैं। देर रात करीब तीन बजे फायर ब्रिगेड ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया। आग लगने की यह घटना मछुआ बाजार के फलपट्टी स्थित ऋतुराज होटल में हुई. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस दर्दनाक हादसे के बारे में दुख जताते हुए दीघा से कोलकाता के मेयर और मंत्री फिरहाद हकीम से फोन पर बात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना पर दुख व्यक्त किया है। रसोई से शुरू हुई आग ने पल भर में पूरी इमारत को अपनी चपेट में ले लिया। संकरी गलियों के कारण अग्निशमन दल को अंदर पहुंचने में कठिनाई हुई और बचाव के लिए दीवार तोड़नी पड़ी। दुर्घटना में होटल के सुरक्षा उपायों की गंभीर उपेक्षा भी सामने आई है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार आग लगते ही रेस्टोरेंट के अंदर अफरा-तफरी मच गई। लोग अपनी जान बचाने के लिए ऊपरी मंजिलों की ओर भागने लगे। इस बीच एक कर्मचारी ने जान बचाने के लिए ऊपर से छलांग लगा दी, लेकिन गंभीर चोटों के कारण उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
संकरी गलियों और जाम के कारण दमकल विभाग की टीम को मौके पर पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। आग तेजी से फैली और पूरी इमारत को अपनी चपेट में ले लिया। आग इतनी भयानक थी कि दमकल विभाग को अंदर घुसने के लिए दीवार तोड़नी पड़ी। बचाव अभियान के दौरान लगभग 50 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, लेकिन इमारत से पहले 14 शव बरामद किए गए। प्रधानमंत्री कार्यालय ने बुधवार को एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर करते हुए कहा, "कोलकाता में आग दुर्घटना में लोगों की मौत से दुखी हूं। जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया है, उनके प्रति संवेदना। मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। प्रत्येक मृतक के परिवार को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। इसके अलावा घायलों को 50 हजार रुपये दिए जाएंगे।"मृतकों में 11 पुरुष, एक महिला तथा एक-एक लड़की और लड़का शामिल हैं। 12 घायलों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, जबकि एक का इलाज चल रहा है। फिलहाल 8 शवों की पहचान हो चुकी है तथा बाकी की पहचान की जा रही है। मामले की जांच के लिए कोलकाता पुलिस ने एक एसआईटी का गठन किया है, जो यह जांच करेगी कि यह घटना कैसे हुई और होटल में अग्निशमन उपकरण क्यों नहीं थे।
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