विद्यालय आओ, खाना खाओ ,घर जाओ - स्कूल में अतिरिक्त शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर अभिभावकों ने सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन किया



रानीगंज-विद्यालय आओ खाना खाओ घर जाओ

 आसनसोल नगर निगम द्वारा संचालित कई निम्न बुनियादी विद्यालय ऐसे ही चल रहे हैं. उनमें से ही एक स्कूल को लेकर अभिभावकों ने शिकायत की है कि छात्रों की पढ़ने की गुणवत्ता धीरे-धीरे खराब हो रही है, स्कूल में कोई शैक्षणिक माहौल नहीं है. रानीगंज के वार्ड नंबर 90 के कुमार बाजार इलाके में.





 नंबर 2 बोरो द्वारा संचालित लोअर प्राइमरी स्कूल के सामने शुक्रवार को स्कूल में अतिरिक्त शिक्षक नियुक्ति की मांग को लेकर अभिभावकों ने सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन किया.प्रदर्शन कर रहे अभिभावकों का कहना था कि स्कूल में करीब सौ छात्र-छात्राएं पढ़ने के बावजूद चार कक्षाओं की पढ़ाई का जिम्मा एक ही शिक्षक पर है, जिससे छात्रों का पढ़ना-लिखना मुश्किल हो गया है. कई बार छात्र आपस में झगड़ने पर उतारू हो जाते हैं तो कई बार सिर्फ खेल-कूद कर, मिड-डे मील खिलाकर ही घर भेज दिया जाता है. शिक्षा पर कोई ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप शैक्षिणिक ढांचा पूरी तरह से चरमरा रहा है.इस मांग को लेकर उन्होंने काफी देर तक सड़क जाम रखा. हालांकि, रानीगंज 2 नंबर बोरो कार्यालय के चेयरमैन मुज्जमिल शहजादा के प्रदर्शनकारियों के पास पहुंचने और उन्हें अति शीघ्र कार्रवाई करने के लिए पहल करने का आश्वासन देने के बाद स्थिति सामान्य हो गई.इस संबंध में आसनसोल निगम के दो नंबर बोरो कार्यालय के अभियंता कौशिक सेनगुप्ता ने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर वे कई बार शिक्षा विभाग को सूचित कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी. गौरतलब है कि नगर निगम के रानीगंज बोरो क्षेत्र में पांच नगर निगम विद्यालय हैं, जिनमें करीब 570 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. पहले इन पांच स्कूलों के लिए 15 शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी, लेकिन अब स्थायी और अस्थायी शिक्षकों को मिलाकर 10 शिक्षक हैं और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की कमी है. पहले इन स्कूलों में पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति की जाती थी, लेकिन अब इन स्कूलों में शिक्षकों की संख्या काफी कम हो गयी है. शिक्षकों की सेवानिवृत्ति के कारण शिक्षक कम होते जा रहे हैं, वर्तमान शिक्षकों को बहुत कठिनाई हो रही है,नए शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की जाती है, लेकिन छात्रों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक विद्यालय में चार रसोइये कार्यरत हैं. इसलिए शिक्षा कितनी भी उन्नत क्यों न हो जाए, रोज स्कूल जाने से भले ही खाने-पीने की कमी पूरी हो जाए, लेकिन स्कूल में जरूरी पढ़ाई नहीं हो पा रही है. इसलिए लोग अब इन स्कूलों को खिचड़ी स्कूल भी कहने लगे हैं. कई लोग कह रहे हैं कि विद्यालय आओ, जाओ, खिचड़ी खाओ, ऐसे ही चल रहा है स्कूल. हालाँकि, इस स्कूल के एकमात्र शिक्षक स्वरूप मित्रा ने अपनी असहाय स्थिति को स्वीकार किया. उन्होंने दावा किया कि स्कूल में शिक्षकों की संख्या बढ़ाने की बार-बार आवेदन करने के बावजूद उनकी बात नहीं सुनी जा रही है. जिसके चलते उन्हें असहाय हालत में 88 छात्रों के साथ अकेले ही स्कूल चलाना पड़ रहा है. जिससे उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती है. उन्होंने दावा किया कि इन सभी कारणों से स्कूल में छात्रों की संख्या धीरे-धीरे कम हो गयी है. अब देखते हैं कि आसनसोल नगर निगम कब इन सभी असुविधाओं को दूर कर झुग्गी-झोपड़ियों और मध्यम वर्गीय परिवारों के छात्रों के लिए इन स्कूलों को सुचारू रूप से संचालन की पहल करता है.

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