जिला पुस्तक मेला में एक भी हिंदी की स्टाल ना होने से हिंदी भाषियों में छाई मायूसी





रानीगंज- रानीगंज के सीआरसोल राज मैदान में सोमवार से पश्चिम बर्दवान जिला का 6 दिवसिय छठा जिला पुस्तक मेला आयोजित की गई है .इस मेला में एक और जहां कोलकाता के बंगला प्रकाशक आनंद ,दे पब्लिशर्स जैसे पुस्तक विक्रेताओं का आगमन हुआ है, वहीं मेले में एक भी हिंदी स्टॉल ना होने के कारण अंचल के हिंदी भाषी लोगों में मायूसी छाई हुई है. इस पुस्तक मेला में लगभग 70 स्टाल लगाई गई है ,जिसमें 50 पुस्तकों की स्टाल हैं.यह तमाम स्टॉल बंगला पुस्तक विक्रेताओं की है, जबकि पुस्तक मेला में इस्कॉन के स्टॉल, पश्चिम बंगाल सरकार के सेल्फ हेल्प तथा तरह-तरह के खिलौने की स्टाल, खाने के सामान की स्टाल हैं, परंतु एक भी हिंदी या उर्दू पुस्तक की स्टाल मेला में नहीं है .जबकि आंकड़ों के हिसाब से रानीगंज कोयला अंचल में लगभग 60% हिंदी भाषी का निवास है एवं हिंदी भाषियों का इस पुस्तक पुस्तक मेला का इंतजार रहता है ,ताकि वह अपने मनपसंद के लेखकों के पुस्तके 10% या 15% के छूट पर खरीद सके . हिंदी पुस्तक ना मिलने के कारण वह दुखी हैं. हालांकि इस संबंध में आयोजकों का कहना है कि फिलहाल मेला में 20 स्टाल खाली है एवं मेला अभी लगातार 5 दिनों तक चलेगी एवं हो सकता है इन 5 दिनों में कोई हिंदी की स्टाल आ जाएगी. इस संबंध में पश्चिम बंगाल राज्य के ग्रंथागार मंत्री सिदिकुला चौधरी मेला का उद्घाटन करने पहुंचे एवं उनसे यह पूछे जाने पर कि मेले में एक भी हिंदी या उर्दू की स्टाल नहीं है तो उन्होंने उल्टा जवाब देते हुए कहा कि आप हिंदी भाषी हैं, एवं हिंदी भाषी प्रकाशको से आप लोग आग्रह करें कि वह मेले में आकर इस पुस्तक मेला में अपना स्टॉल लगाएं. हालांकि उन्होंने उर्दू के स्टॉल ना लगने के विषय में कहा की मेला के तहत 10% उर्दू पुस्तक पुस्तकें खरीदने के लिए सरकार द्वारा आरक्षित राशि है, परंतु सवाल यह उठता है कि सरकार द्वारा या आरक्षित राशि तो है परंतु मेला में उर्दू के स्टॉल ही नहीं है तो आखिर वह 10% राशि की उर्दू पुस्तकें आखिर कहां से खरीदी जाएगी.ज्ञात हो कि कोलकाता के पश्चात संभवत रानीगंज में तिलक पुस्तकालय सबसे बड़ी पुस्तकालय हैं,जिसमें पुस्तको का विशाल भंडार है, पर सदैव से इस पुस्तकालय को सरकार से अनदेखी रही है , परंतु वर्षो से लाइब्रेरियन के अभाव में यहां की पुस्तकें नष्ट हो रही है , सरकार का भी इस और नजर नहीं है .इस विषय में भी मंत्री का कहना है की सरकार पर आरोप लगाना की पुस्तकों का रखरखाव के दिशा में कार्य नहीं कर रही है ,बिल्कुल गलत है ,हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया है कि राज्य में अम्फन एवं कोविड-19 के समय लगभग 34000 पुस्तकें नष्ट हो गई है.


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