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फ़ास्बेक्की की पकड़ हुई कमजोर? सम्मान समारोह में व्यापारियों की कम उपस्थिति ने उठाए सवाल



आसनसोल, पश्चिम बंगाल: दक्षिण बंगाल के सबसे बड़े वाणिज्यिक संगठन फ़ास्बेक्की (FOSBEECI) के वार्षिक सम्मान समारोह में इस बार व्यापारियों की कम भागीदारी ने संगठन की पकड़ पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. आसनसोल क्लब परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य नए उद्योगों को बढ़ावा देना और दक्षिण बंगाल में औद्योगीकरण व व्यवसाय को गति देना था.


इस समारोह में, बंधन ग्रुप के अध्यक्ष चंद्रशेखर घोष को बंग रत्न अवार्ड से सम्मानित किया गया, जबकि प्रतिष्ठित व्यवसायी और समाजसेवी रथीन मजूमदार को दक्षिण बंग रत्न पुरस्कार दिया गया. कार्यक्रम में 20 उद्यमियों को भी सम्मानित किया गया. हालांकि, इन प्रतिष्ठित हस्तियों की मौजूदगी के बावजूद, व्यापारियों की अपेक्षित संख्या में अनुपस्थिति चर्चा का विषय बनी रही.


आसनसोल दुर्गापुर विकास प्राधिकरण के चेयरमैन कवि दत्ता, जो विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे, ने व्यापारियों की कम उपस्थिति पर कड़ी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि संगठन के सबसे बड़े व्यापारिक सम्मान समारोह में व्यापारियों की भागीदारी और ज़्यादा होनी चाहिए थी, ख़ासकर तब जब चंद्रशेखर घोष जैसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त व्यक्ति को सम्मानित किया जा रहा हो.

फ़ास्बेक्की के कुछ सदस्यों ने व्यापारियों की अनुपस्थिति के कई कारण बताए, लेकिन यह स्पष्ट था कि इस कमी ने कार्यक्रम की गरिमा को प्रभावित किया. यह बात किसी से छिपी नहीं रही कि व्यापारियों की गैर-मौजूदगी ने वह भव्यता प्रदान नहीं की जो संगठन के सबसे बड़े वार्षिक सम्मान समारोह को मिलनी चाहिए थी.






अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या फ़ास्बेक्की व्यापारियों पर अपनी पकड़ खो रही है? दक्षिण बंगाल के 11 जिलों के व्यापारियों का संगठन होने का दावा करने वाले फ़ास्बेक्की के सबसे बड़े वार्षिक सम्मान समारोह में व्यापारियों की इतनी कम मौजूदगी ने संगठन के अस्तित्व और उसके प्रभाव को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं.

यह भी बता दें कि राज्य के श्रम और कानून मंत्री मलय घटक को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था, लेकिन वे भी कार्यक्रम में शिरकत नहीं कर सके. संगठन का कहना है कि उनका एकमात्र उद्देश्य नए उद्योगों को बढ़ावा देना है ताकि दक्षिण बंगाल में औद्योगीकरण और व्यवसाय को बढ़ावा मिल सके, लेकिन इस आयोजन में व्यापारियों की कम भागीदारी ने इस उद्देश्य की प्राप्ति पर विचार करने को मजबूर कर दिया है.

फ़ास्बेक्की को अब आत्ममंथन करने की ज़रूरत है कि आखिर क्यों उनके सबसे महत्वपूर्ण आयोजन में सदस्यों की रुचि कम होती जा रही है. आपको क्या लगता है, संगठन को अपनी रणनीति में क्या बदलाव करने चाहिए ताकि वह अपने सदस्यों के बीच अपनी प्रासंगिकता और पकड़ बनाए रख सके?

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