बांकुड़ा-बांकुड़ा शहर से सटे बिकना गाँव में शुक्रवार सुबह उस समय धार्मिक और कानूनी विवाद खड़ा हो गया, जब मछली पकड़ते समय मछुआरों के जाल में एक प्राचीन धातु की दुर्गा मूर्ति निकल आई। मूर्ति किसकी संपत्ति है—मछली पालकों की या तालाब मालिक की—इसे लेकर दोनों पक्षों के बीच ज़बरदस्त झड़प हुई, जिसके बाद तालाब मालिक मूर्ति को अपने साथ ले गए।
जगद्धात्री पूजा के दिन जाल में फंसी देवी
बांकुड़ा शहर के दोलतला इलाके के रहने वाले मछली पालक संदीप कर्माकर बिकना गाँव के एक तालाब में अन्य मछुआरों के साथ मछली पकड़ रहे थे। आज सुबह उनके जाल में मछली की जगह एक प्राचीन धातु की दुर्गा मूर्ति आ गई।
चूंकि यह घटना जगद्धात्री पूजा के पावन अवसर पर हुई, इसलिए मछली पालक इसे देवी का आशीर्वाद मानते हुए अत्यधिक श्रद्धा से भर गए। संदीप कर्माकर मूर्ति को अपने दोलतला स्थित घर ले आए और अपने पारिवारिक दुर्गा मंदिर में स्थापित कर पूजा की तैयारी शुरू कर दी।
मालिकाना हक को लेकर ज़बरदस्त बखेड़ा
जैसे ही तालाब में मूर्ति मिलने और संदीप कर्माकर के पास होने की खबर बिकना गाँव के तालाब मालिक पक्ष तक पहुंची, वे तुरंत दोलतला स्थित संदीप के घर पहुंच गए। उन्होंने मूर्ति पर अपना दावा ठोका, जिसके बाद मछली पालक और तालाब मालिक के बीच तीखी बहस और धक्का-मुक्की शुरू हो गई।









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