आसनसोल : स्थानांतरण, नियुक्ति समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर ईसीएल के सीएमडी प्रेम प्रकाश मिश्रा के साथ बैठक करने के लिए जैक के द्वारा सीएमडी को एक पत्र दिया गया था। उनकी मांग नहीं मानने पर बीते 23 नवंबर से भूख हड़ताल की भी धमकी दी गई थी, लेकिन सीएमडी ने जैक नेताओं के साथ बैठक कर उन्हें आश्वासन दिया था कि आगामी 7 दिसंबर को उनके साथ बैठक कर उनकी मांगों पर विस्तृत चर्चा करेंगे। लेकिन सीएमडी राजमहल एरिया के प्रवास पर जाने के कारण इस बैठक की तिथि को बढ़ा दी गई है। जिसके आलोक में सोमवार को बीएनआर स्थित एटक कार्यालय में जैक की एक बैठक बुलाई गई। जिसमें एटक के रामचंद्र सिंह, इंटक के चंडी बनर्जी, एचएमएस के शिव कांत पांडे, बीएमएस के जयनाथ चौबे सीटू,यूटीयूसी के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक के बाद जैक के चेयरमैन एटक महासचिव रामचंद्र सिंह ने कहा कि हम लोग ईसीएल के स्थानांतरण नीति जमीनदाताओं को नियुक्ति देने की नीति, ईसीएल के खदानों की स्थिति, मेडिकल सुविधा को लेकर ईसीएल के सीएमडी से बात करना चाहते हैं। उन्होंने समय दिया था। लेकिन राजमहल एरिया में लोग जमीन नहीं दे रहे हैं। जिसके कारण राजमहल परियोजना का कार्य धीमी गति पर चल रहा है। इसको लेकर सीएमडी राजमहल चले गए। जिसके कारण बैठक की तिथि बढ़ा दी गई है। उन्होंने कहा कि यदि राजमहल में कोई जमीन देता है। तो उन्हें राजमहल में से नियुक्ति दी जाती है। यदि कोई चित्रा परियोजना में जमीन देता है। तो उसकी नियुक्ति चित्रा एरिया में ही दी जाती है। लेकिन यदि कोई सलानपुर में जमीन देता है। उसे पांडेश्वर एरिया में नियुक्ति दी जाती है। इसके अलावा एक जमीनदाता अपना जमीन जब किसी ईसीएल को देता है। रजिस्ट्री करवा देता है। उसके बाद 20 अधिकारी उसके नियुक्ति फार्म पर हस्ताक्षर करते हैं। तब अप्रूवल के लिए उनका फार्म कार्मिक निदेशक के पास जाता है। तब उनसे पूछा जाता है कि यह जमीन तुम्हारे पास कैसे आई। इसका कागजात दिखाओ। दरअसल ईसीएल प्रबंधन केवल हरासमेंट करना चाहता है। वह नियुक्ति देना नहीं चाह रहा है। ईसीएल में 4 कंटीन्यूअस माइंस किए जाने वाले हैं। यह सभी आउटसोर्सिंग होगी। अभी जो भी कंटीन्यूअस माइंस में चल रहा है वह भी आउटसोर्सिंग है। उसे ठेकेदार चला रहे हैं। आज इसी आउटसोर्सिंग के कारण ईसीएल की श्रमिक क्षमता 2 लाख था। जो घटकर 40 से 45 हजार हो गया है। ठेका श्रमिकों को पहचान पत्र भी निर्गत नहीं किया जा रहा है। हाई लेवल पावर कमेटी के द्वारा इनका जो परिश्रमिक तय की गई है। वह इन्हें भुगतान नहीं किया जा रहा है। हमलोग यह जाना चाहते हैं कि कितने ठेका श्रमिक कार्यरत हैं। इसका आकड़ा दिया जाए। जिसका हिसाब ईसीएल प्रबंधन के पास नहीं है। कोल इंडिया के चेयरमैन ने यह आभास दिया है कि यदि राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता 11 लागू होता है। तो वित्तीय भार के कारण ईसीएल बीएफआईआर में जा सकता है। इसलिए हमलोग ईसीएल को बचाने के लिए ईसीएल के सीएमडी से बात करना चाहते हैं। ईसीएल का कितना कोयला खदान बंद करने की सूची में शामिल है।इसके बारे में जानना चाहते हैं। इसके अलावा कई और मुद्दे हैं।









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